कहानी ऐसे भुतिया गाँव कुलधरा की जो सदियों से पड़ा है वीरान और परिंदे भी जाने से थर-थर कांपते हैं
बिना रहस्य-रोमांच के जीवन नीरस हो जाता है, लेकिन जब यही रहस्य और रोमांच हद से ज्यादा हो जाता है तो इंसान को डर भी लगने लगता है। भारत में कई ऐसी रहस्यमयी जगहें हैं, जहाँ आज जाने से लोग दिन में डरते हैं, रात की तो बात ही छोड़ दी जाए। भारत की एक ऐसी ही सबसे भुतिया जगहों में से है भानगढ़। भानगढ़ की कहानी किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं है। लेकिन यहाँ की कहानी पर किसी को शक नहीं होता है। भानगढ़ के बारे में कहा जाता है कि इसे 16वीं शताब्दी में बसाया गया था।
बसाये जाने के लगभग 300 सालों तक भानगढ़ में खूब रौनक थी, लेकिन उसके बाद अचानक सबकुछ बदल गया। किले की एक खुबसूरत राजकुमारी से तांत्रिक के महारथी को एक तरफ़ा प्रेम हो गया। राजकुमारी का नाम रत्नबाला और तांत्रिक का नाम सिंधु सेवड़ा बताया जाता है। राजकुमारी को अपने वश में करने के लिए एक दिन वह कला जादू करता है लेकिन उसके प्रभाव से वह खुद ही मर जाता है। मरने से पहले वह किले में रहने वालों को श्राप दे देता है कि सभी अकाल मृत्यु के शिकार हो जायेंगे और उनकी आत्मा को शांति नहीं मिलेगी। उनकी आत्मा अनंतकाल तक भटकती रहेगी।
कुछ दिन समय बाद पड़ोसी राज्य ने भानगढ़ पर आक्रमण कर दिया और राजकुमारी के साथ ही सभी लोग मारे जाते हैं। किला वीरान हो गया। कहा जाता है कि मारे गए लोगों की आत्माएं आज भी उसी किले में भटकती रहती है। कुछ लोग इसे अफवाह भी मानते हैं लेकिन नगर प्रशासन के द्वारा अँधेरा होने के बाद किसी को भी इस भुतिया किले में या आस-पास जाने नहीं दिया जाता है। भानगढ़ की तरह की राजस्थान के जैसलमेर का कुलधरा गाँव भी एक ही रात में वीरान हो गया था। उसके बाद गाँव में कोई नहीं बच पाया। आज इस गाँव को हॉन्टेड विलेज के नाम से जाना जाता है।
इस गाँव के बारे में कहा जाता है कि कभी यहाँ 84 पालीवाल ब्राह्मणों का परिवार रहा करता था। लेकिन अचानक किसी की इस गाँव को बुरी नजर लग गयी। कहा जाता है कि रियासत के दीवान सलीम सिंह को गाँव के पुजारी की बेटी पसंद आ गयी और वह उससे जबरदस्ती शादी करना चाहता था। उसने गाँव वालों को कुछ समय दिया। बात लड़की और गाँव वालों की इज्जत की हो गयी थी। इसके बाद गाँव में पंचायत बैठी और 5000 से ज्यादा परिवारों ने इस रियासत को छोड़ने का फैसला कर लिया। उसके बाद से गाँव ऐसा वीरान हुआ कि आज दिन में भी वहाँ जाने से लोग थर-थर कांपते हैं। कहा जाता है कि जाते समय ब्राह्मणों ने श्राप दिया था कि इस गाँव में कोई नहीं रह पायेगा। उसके बाद से इस गाँव में केवल भूतों का डेरा बना हुआ है।