बिहार की महिलाओं ने खोला राज, पति जाते हैं परदेश और वहाँ से लेकर आते हैं एड्स
बक्सर: आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो पता चलता है कि जिले में दिनों-दिन एड्स का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। हर साल बढ़ रही एचआइवी पॉजिटिव मरीजों की संख्या के बाद भी लोग समझ नहीं रहे हैं। कमाने जाने वाले लोग बाहर शहरों में जाते हैं और वहाँ से घर वालों के लिए यह खतरनाक बीमारी तोहफे में ला रहे हैं और पुरे परिवार में बाँट रहे हैं। जिले में एक ऐसा भी परिवार है जिसमें यह बीमारी बाप से बेटे को भी लगी और असमय ही पूरा परिवार काल के गाल में समा गया। कुछ लोग बदहाली का जीवन भी जी रहे हैं।
बक्सर जिले में एड्स नियंत्रण के लिए एक विभाग की स्थापना 2003 में की गयी। उसके बाद एचआइवी पॉजिटिव मरीजों की जाँच शुरू की गयी। 14 वर्षों के लम्बे सफ़र के बाद जिले में एड्स के सैकड़ों मरीजों के बारे में पता चला। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की माने तो बक्सर जिले में एड्स के कुल 712 केस पाए गए हैं, जिनमें से 270 महिलाएँ हैं। एड्स से पीड़ित कई लोगों की मौत हो चुकी है तो कई जीवन और मौत के बीच फँसे हुए हैं। यह सभी आंकड़े केवल सरकारी अस्पतालों के हैं। निजी तौर पर भी एड्स की जाँच की जा रही है, उनके आंकड़ों को इसमें शामिल नहीं किया गया है।
जिले में इस साल अप्रैल से लेकर अब तक कुल एड्स के 54 केस पाए जा चुके हैं। इससे पहले 2016-17 मार्च तक 86 एड्स मरीजों के बारे में जानकारी मिली थी। इससे पहले वित्तीय वर्ष 2004-05 में 6, 05-06 में 24, 06-07 में 32, 07-08 में 21, 08-09 में 25, 09-10 में 26, 10-11 में 61, 11-12 में 63, 12-13 में 70, 13-14 में 71, 14-15 में 69 तथा 15-16 में एड्स के 78 मरीज पाए गए। अगर सरकारी आँकड़ों पर गौर किया जाये तो पता चलता है कि हर साल एचआइवी पॉजिटिव लोगों की संख्या बढ़ ही रही है।
जिले में एड्स से पीड़ित तीन तरह के लोग हैं। पहले तो वह जो बाहर कमाने जाते हैं और असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाकर एचआइवी से संक्रमित हो जाते हैं और घर आकर यह बीमारी परिवार वालों में बाँट देते हैं। दुसरे वह जो संक्रमित सुई का इस्तेमाल करते हैं और बीमारी हो जाने पर उसे परिवार वालों को भी तोहफे में दे देते हैं तीसरे वे लोग संक्रमित खून चढ़ाकर इस बीमारी को अपना लिया और परिवार में बाँट दिया। असुरक्षित यौन सम्बन्ध के जरिये इस बीमारी के शिकार लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है।