इस शहर में लड़कियों का लगता है बाज़ार, मात्र दस रूपये के स्टाम्प पेपर में होता है लडकियाँ का सौदा
मध्य प्रदेश: भले भारत समय के साथ साथ कितनी भी तरक्की क्यूँ न कर रहा हो. लेकिन, इस बात में कोई दो राय नहीं है कि लड़कियों को हमारे समाज में लडको से नीचे माना जाता है. आज भी हमारे भारत में ऐसे बहुत सारे गाँव हैं, जहाँ औरतों और लड़कियों को पूजने की जगह उनके जिस्म से खेला जाता है. लोग औरतों को इस्तेमाल करने की एक चीज़ समझते हैं. इसलिए सदियों से भारत में औरतें डर के कारण खामोश हैं और सबसे डर कर जी रहीं हैं.
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि हमारे भारत में भी ऐसी एक जगह है, औरतों को की जगह जिस्म का व्यापर करने के लिए मजबूर किया जाता है. हम बात क्र रहे हैं. मध्यप्रदेश की. जहाँ, औरतों को मात्र 10 रूपये के स्टाम्प पर कानूनी मोहर लगा कर बेच दिया जाता है. शायद आपको ये पढ़ने में अजीब लग रहा होगा. और लगेगा भी क्यूँ नही. न आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि ये घटना एकदम सच्ची है. आज कल के लोग “पद्मावती” जैसी फिल्मों पर अंकुश लगाने में जुटे हैं. लकिन, क्या उन्हें हमारे देश की महिलायों की दशा पर तरस नहीं आता? क्यां उन्हें वह महिलाएं एवं औरतें नहीं दिखती, जो अपनी इज्जत और आबरू बचाने के लिए रोज़ एक नई नजर का सामना करती हैं? बहरहाल, चलिए जानते हैं ये पूरा मामला आखिर क्या है…
आज हम बात कर रहे हैं, एक ऐसे स्थान की, जहाँ बेटियों का सौदा खुले आम किया जाता है. मध्यप्रदेश के शिवपुरी गांव में महिलाओं की स्थिति आज भी दयनीय बनी हुई है. यहां लिंगानुपात और बेटियों की कमी ने ऐसी कुप्रथा को जन्म दिया है, जो मानवता को शर्मसार कर दे.आपको ये जानकार हैरानी होगी कि यहाँ मासूम बच्चियों को 10 रूपये से लेकर 100 रूपये के स्टाम्प से बेचा जाता है. और जब उस व्यक्ति के स्टाम्प पेपर की मियाद ख़तम हो जाती है, तब उस लड़की को किसी अन्य व्यक्ति को बेच दिया जाता है. मध्यप्रदेश के शिवपुरी में इस घटना को लोग “धडीचा” के नाम से जानते हैं. जहाँ लड़की हो या औरत, दोनों का सौदा किया जाता है.
आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि शिवपुरी में औरतों के लिए जो स्टाम्प पेपर बना कर उन्हें बेचा जाता है, उस पर एक तारिख भी लिखी जाती है. जिसके पूरे होते ही वो लड़की दोबारा किसी और को बेच दी जाती है. केवल यही नहीं बल्कि, यहाँ लड़कियों और महिलायों की बोली भी लगाई जाती है जो कि 12 हजार रूपये से शुरू होकर 25हजार तक चली जाती है. लड़की का परिवार जितना गरीब हो उतनी ही बोली बढ़ा दी जाती है.
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि शिवपुरी में होने वाले इस धडीचे में पुरुष जब तक चाहे एक लड़की को अपने पास रख सकते हैं. भले वो एक साल का समय हो या दस साल का. इसके लिए उन्हें समय समय पर लड़की के स्टाम्प पेपर की मियाद बढवानी पडती है.
अगर किसी पुरुष को लम्बे समय तक रहते रहते उस लड़की से प्यार हो जाये या उससे वह शादी करना चाहे तो इसके लिए उसको लड़की की भारी कीमत चुकानी पड़ती है. आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि लड़कियों की कमी और लिंगानुपात ही इस प्रथा की एकमात्र वजह है. जिसके चलते यहाँ लडकियाँ खरीदना और बेचना आम बात हो गयी है.
जहाँ, एक तरफ भारत में आये दिन औरतों और लड़कियों की सुरक्षा को लेकर सख्त कानून बनाये जा रहे हैं, वहीँ दूसरी तरफ आज भी लड़कियों को जिस्मफरोशी का एक नमूना समझा जा रहा है. आखिर कब तक यूँ ही महिलायों और औरतों को ये सब सहते रहना पड़ेगा?