पड़ोसियों ने कहा था बेटियों का गर्भपात करा दो,बोझ हैं, पर बेटियां बड़ी हो कर आज कर रही हैं ये काम
कहावत है सुनो सबकी करो अपने मन की। जी हां कहावतों का हमारी जिंदगी से सीधे भले ही कोई नाता न हो लेकिन कहावतें खुद को सही साबित जरूर करती है। इस कहावत को मानकर बरेली के चंद्र सेन सागर ने अपने मन की बात सुनी और आज उनका सालों पुराना फैसला उनके गर्व और गुरूर की वजह बन गया। जी हां बरेली शहर में रहने वाले चंद्र सेन सागर को शायद ही कोई ऐसा हो जो नहीं जानता हो। चंद्र सेन यूं तो नेता गिरि करते हैं, लेकिन उससे ज्यादा अफसर बेटियों की बदौलत उनको मान सम्मान और शहर में इज्जत और ओहदा मिला है। लेकिन इस बात को कोई नहीं जानता की कभी इन्ही बेटियों का गर्भपात कराने के लिए पड़ोसियों ने सलाह दी थी, पर चंद्र सेन ने उनको दुनिया में आने दिया और आज उनको अपने फैसले पर गर्व है।
ऐसी है सफलता की कहानी
बरेली में रहने वाले चंद्रसेन सागर के बारे में आप किसी से पूछेंगे तो आपको लोग घर तक पहुंचा कर आएंगे। शहर में सब उनको अफसर बेटियों वाले पिता के नाम से जानते हैं। चंद्रसेन सागर खुद 10 साल ब्लॉक प्रमुख रहे हैं, भाई सियाराम सागर भी पांच बार के विधायक हैं। लेकिन बेटियों की सफलता ने जो सागर परिवार की पहचान बनाई है वो शायद पहले नहीं थी।
बेटियों का गर्भपात की पड़ोसियों ने दी थी सलाह
पिता चंद्रसेन सागर आज गर्व से फूले रहते हैं। लेकिन पुरानी बात याद करते हैं तो जबान लड़खडाने लगती है। चंद्रसेन बताते हैं कि एक के बाद एक बेटियां हो रही थी। उनके मन में डॉक्टर को दिखाने का विचर आया। टेस्ट कराया तो पता चला की पत्नी के गर्भ में बेटी है। चंद्रसेन ने ये बात पड़ोसियों को बताई तो उन्होने तुरंत गर्भपात कराने की सलाह दे दी। कई दिन तक चंद्रसेन सोचते रहे और बार बार उनके मन में पड़ोसियों की बात गूंजती रही। लेकिन अंत में उन्होने बेटियों के जन्म होने का फैसला किया। आज वो खुलकर बताते हैं कि बेटियों की वजह से जो शोहरत और इज्जत मिली है। वो शायद बेटा होने से नहीं मिलती।
मिलिए तीनों बिटिया से
चंद्रसेन सागर के परिवार में कुल पांच बेटियां और एक बेटा है। घर में सबसे पहली खुशखबरी 2009 में आई। जब बड़ी बेटी अर्जित ने आइआरएस की परीक्षा पास कर अफसर बनीं। अर्जित ने बीटेक करने के बाद तैयारी की। वे फिलहाल मुंबई में कस्टम डिपार्टमेंट में डिप्टी कमिश्नर हैं। इसके बाद तो जैसे ऊपर वाले की चंद्र सेन के परिवार में विशेष कृपा हो गई। परिवार की दो और बेटियां आईएएस बनकर निकलीं। दूसरी बेटी अर्पित ने 2015 में आईएएस की परीक्षा में सफलता पाई तो वहीं पांचवे नंबर की सबसे छोटी बेटी आकृति 2016 बैच में सफल हुईं। अर्पित गुजरात काडर में खेड़ा जिले में ठासरा की एसडीएम हैं। वहीं आकृति को कनार्टक काडर मिला हैं। अर्पित ने इलाहाबाद से बीटेक के बाद आईआईएम कोलकाता से एमबीए किया। जबकि आकृति ने श्रीराम कॉलेज ऑफ कामर्स दिल्ली से ग्रेजुएशन की और आईएएस बन गईं। चंद्रसेन सागर की तीसरे नंबर की बेटी अंशिका फैशन डिजाइनर हैं। वहीं चौथे नंबर की बेटी अंकिता भी फैशन डिजाइनिंग के बाद अब बाकी बहनों से प्रेरणा लेकर दिल्ली में सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुट गई हैं। चंद्रसेन की छठे नंबर के इकलौते बेटा का भी बहनों की तरह आईएएस बनना चाहता हैं।
पिता का अधूरा सपना किया पूरा
चंद्र सेन भावुक होकर बताते हैं कि वो भी आईएएस और पीसीएस बनना चाहते थे कई बार परीक्षा दी, लेकिन मेंस से आगे नहीं बढ़ पाए। हिन्दी भाषी होने का हर बार उनको नुकसान हुआ लेकिन बेटियों ने उनका सपना पूरा कर दिया।