सड़क पर भिखारी बना बैठा ये अंग्रेज़ नही है मामूली इंसान, इसका सच जानकर होश उड़ जाएंगे आपके
नई दिल्ली: अक्सर हमने सड़कों पर बैठे खाना खा रहे कईं लोगो और भिखारियों को देखा होगा. लेकिन, सड़क पर बैठ हर व्यक्ति जरूरी नही कि कोई भिखारी या मामूली इंसान ही हो. कुछ ऐसा ही अजीबो गरीब मामला हाल ही में हमारे सामने आया है. जहां नई दिल्ली की सड़कों पर एक अंग्रेज जैसा दिखने वाला व्यक्ति अक्सर नज़र आ रहा है.
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि इस अंग्रेज़ की सड़क पर बैठकर खाना खाने की तस्वीरें इन दिनों स्किल साइट्स पर काफी तेजी से वायरल हो रही हैं. ये अंग्रेज़ कोई मामूली आदमी नही है. बल्कि, ये व्यक्ति दिल्ली के साथ साथ कई अन्य शहरों में भी देखने को मिला है. बहुत से लोगों का कहना है कि ये दिल्ली का एक आम भिखारी है जबकि, वो इस आदमी के सच से अनजान है. चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको मिलवाते है इस अंग्रेज़ से और आपको बताते हैं इसके पीछे का सच आखिर क्या है…
देश के बेहतरीन अर्थशास्त्रियों में से एक हैं ये
आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि दिल्ली की सड़कों पर भटकने वाले इस अंग्रेज़ का नाम ज्यां द्रेज़ है. ये भारत देश के बेहतरीन अर्थशास्त्रियों में से एक हैं. भारत सरकार की कानून व्यवस्था बनाने में भी ज्यां द्रेज़ ने ख़ास भूमिका निभाई थी. यूपीए शासनकाल के दौरान ये नैशनल एडवाइजरी कमेटी के सदस्य थे. इसके इलावा कांग्रेज़ की ड्राफ्टिंग नीति की शरुआत करने वाले भी ज्यां द्रेज़ही थे. भारत मे बाकी कानूनों से अहम आरटीआई को माना जाता है और इस आरटीआई की शुरुआत भी ज्यां द्रेज़ द्वारा ही की गई थी. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि दिल्ली की सड़कों पर बैठने वाला ये शक़्स रांची की यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर हैं और साथ ही वह दिल्ली की एक यूनिवर्सटी में भी विजिटिंग प्रोफेसर हैं.
जंतर-मंतर धरने में बैठे थे ज्यां ट्रेज़
एक रिपोर्ट के अनुसार ज्यां द्रेज़की ये तस्वीर 14 सितंबर को दीपक नाम के व्यक्ति ने खींच था. दीपक एक अच्छे फोटोग्राफर और मशहूर पत्रकार भी हैं. दीपक ने बताया कि 14 तारीख़ को दिल्ली के जंतर मंतर में मनरेगा धरना चल रहा था जहां, छत्तीसगढ़ से लेकर दूर दूर राज्यों से लोग धरने पर बैठे हुए थे. धरना 11 से 15 सितंबर तक का था, जिसके लिए छत्तीसगढ़ से भी लोग आए थे. धरने के दौरान लोग अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे.
जानकारी के अनुसार इस धरने में ज्यां भी शामिल थे और जब गुरुद्वारे से खाना आया तो उन्होंने पास के व्यक्ति से बर्तन लेकर उसमें कहना परोस कर वहीं खाना शुरू कर दिया. इसी दौरान धरने पर बैठे दीपक और कुछ अन्य लोगों ने ज्यां को पहचान लिया और उनकी तस्वीरें खींच ली जो कि इन दिनों से9साल साइट्स पर काफी टेक्सी से फैल रही हैं.
अमर्त्य सेन के साथ लिख चुके हैं किताबें
ज्यां द्रेज 1959 में बेल्जियम में पैदा हुए। पिता जैक्वेस ड्रीज अर्थशास्त्री थे।ज्यां 20 साल की उम्र में भारत आ गए और 1979 से भारत में ही रह रहे हैं. 2002 में उन्हें भारत की नागरिकता मिलीद्रेज़बाकी प्रोफेसर की तरह नही हैं बल्कि इनकी गतिविधियों के कारण इनपर कईं किताबें भी छप चुकी हैं. इसके इलावा ज्यां ने नई दिल्ली से अपनी पीएचडी पूरी की थी. ज्यां अमर्त्य सेन के साथ मिल कर कईं किताबें लिख चुके हैं.