मकान की नींव में क्यों रखा जाता हैं सर्प और कलश को.. जानिए इसका रहस्य
मकान-भवन आदी का निर्माण करते वक्त हम कई ऐसे कार्यों को प्राथमिकता देते है जिनसे हमारे घर की हर तरह से रक्षा की जा सकें। साथ ही घर की सुख-शांति बनी रहे। ऐसे ही एक विशेष कर्मकाण्ड के तहत मकान की नींव भरते समय सर्प और कलश को रखा जाता है। ऐसा आमतौर पर सभी भवन निर्माण के समय जरूर होता है .. लेकिन क्या आप जानते हैं इस विशेष कर्मकाण्ड के पीछे अभिप्राय क्या है ? चलिए हम आपको बताते हैं किन कारणों से ऐसा किया जाता है ..
दरअसल मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि जमीन के नीचे पाताल लोक है और इसके स्वामी शेषनाग है। पौराणिक ग्रंथों में शेषनाग के फण पर संपूर्ण पृथ्वी टिकी होने का उल्लेख मिलता है। पौराणिक ग्रंथों में शेषनाग के फन पर पृथ्वी टिकी होने का उल्लेख मिलता है..
शेषं चाकल्पयद्देवमनन्तं विश्वरूपिणम्।
यो धारयति भूतानि धरां चेमां सपर्वताम्।।
इन परमदेव ने विश्वरूप अनंत नामक देवस्वरूप शेषनाग को पैदा किया, जो पहाड़ों सहित सारी पृथ्वी को धारण किए है। उल्लेखनीय है कि हजार फनों वाले शेषनाग सभी नागों के राजा हैं। भगवान की शय्या बनकर सुख पहुंचाने वाले, उनके अनन्य भक्त हैं। श्रीमद्भागवत के 10 वे अध्याय के 29 वें श्लोक में भगवान कृष्ण ने कहा है- अनन्तश्चास्मि नागानां यानी मैं नागों में शेषनाग हूं।
प्रतिकात्मक सर्प की पूजा कर प्रसन्न करते हैं शेषनाग को
असल में नींव पूजन का पूरा कर्मकांड इस मनोवैज्ञानिक विश्वास पर आधारित है कि जैसे शेषनाग अपने फन पर पूरी पृथ्वी को धारण किए हुए हैं, ठीक उसी तरह मेरे इस घर की नींव भी प्रतिष्ठित किए हुए चांदी के नाग के फन पर पूरी मजबूती के साथ स्थापित रहे।चूंकि शेषनाग क्षीरसागर में रहते हैं इसलिए पूजन के कलश में दूध, दही, घी डालकर मंत्रों से आह्वान पर शेषनाग को बुलाया जाता है, ताकि वे घर की रक्षा करें।
विष्णुरूपी कलश में लक्ष्मी स्वरूप सिक्का डालकर फूल और दूध पूजा में चढ़ाया जाता है, जो नागों को सबसे ज्यादा प्रिय है। भगवान शिवजी के आभूषण तो नाग हैं ही। लक्ष्मण और बलराम भी शेषावतार माने जाते हैं। इसी विश्वास से यह प्रथा जारी है।