इस वजह से स्वयंवर में ही रावल रतन सिंह से लड़ पड़ी थीं रानी पद्मावती
संजय लीला भंसाली की बहुप्रतीक्षित फिल्म पद्मावती एक दिसंबर को रिलीज होने जा रही है ..ऐसे में इतिहास से छेड़छाड़ के आरोप के साथ फिल्म जहां विवादों में घिरती नजर आ रही है वहीं लोगों में इसके प्रति जिज्ञासा भी बढ़ चुकी है। हर कोई जानना चाहता है कि आखिर रानी पद्मावती थी कौन ..कई लोग इसे सिर्फ एक काल्पनिक किरदार मानते हैं वही कुछ लोग इसे इतिहास में दर्ज वास्तविक घटना की मुख्य धूरी मानते हैं। ऐसे में आज हम आपको रानी पद्मावती से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताने जा रहे हैं ..साथ ही ये बताएंगे कि आखिर क्यों रानी पद्मावती अपने होने वाले पति रावल रतन सिंह से स्वयंवर में ही लड़ पड़ी थीं।
जिस रानी पद्मावती को राजपूतों की शान से जोड़कर देखते हुए कई राजपूतान संगठन फिल्म पद्मावती का पूरजोर विरोध कर रे हैं वहीं कई दार्शनिकों का मानना है कि पद्मावती तो एक काल्पनिक किरदार है। दरअसल 12वी और 13वी सदी में दिल्ली के सिंहासन पर दिल्ली सल्तनत का राज था |
सुल्तान ने अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए कई बार मेवाड़ पर आक्रमण किया | इन आक्रमणों में से एक आक्रमण अलाउदीन खिलजी ने सुंदर रानी पदमिनी को पाने के लिए किया था | ये कहानी अलाउदीन के इतिहासकारो ने किताबो में लिखी थी ताकि वो राजपूत प्रदेशो पर आक्रमण को सिद्ध कर सके |1316 में अलाउद्दीन खिलजी की मौत के करीब 200 सालों बाद हिंदी के कवि मलिक मोहम्मद जायसी ने 1540 में ‘पद्मावत’ नामक ग्रंथ लिखा था। कुछ इतिहासकार इस कहानी को गलत बताते है क्योंकि ये कहानी मुस्लिम सूत्रों ने राजपूत शौर्य को उत्तेजित करने के लिए लिखी गयी थी |
वैसे देखा जाये तो मलिक मोहम्मद जायसी के इस ग्रंथ में चितौड़ की रानी पद्मावती की खूबसूरती और किरदार का वर्णन जिस ढ़ंग से किया गया था उससे ये साबित होता है कि रानी पद्मिनी उर्फ पद्मावती एक कल्पना नहीं बल्कि असल इंसान थीं।
श्रीलंका की राजकुमारी पदमिनी ऐसे बनी राजस्थान की रानी पद्मावती
‘पद्मावत’ ग्रंथ में पद्मावती को सिंहला द्वीप की राजकुमारी बताया गया है। चूंकि सिंहला द्वीप सीलोन में स्थित है, जिसे आज श्रीलंका के नाम से जाना जाता है। अतः इस बात की पूरी संभावना है कि पद्मावती भी श्रीलंका की राजकुमारी थीं। रानी पदमिनी के पिता का नाम गंधर्वसेन और माता का नाम चंपावती था । रानी पद्मिनी के पिता गंधर्वसेन सिंहल प्रान्त के राजा थे ।बचपन में पदमिनी के पास “हीरामणी ” नाम का बोलता तोता हुआ करता था जिससे साथ उसमे अपना अधिकतर समय बिताया था। ऐसा भी कहा जाता है कि उस तोते ने ही पद्मावती की खूबसूरती के बारे में चित्तौड़ के राणा रावल रतन सिंह को बताया था। रानी पदमिनी बचपन से ही बहुत सुंदर थी और बड़ी होने पर उसके पिता ने उसका स्वयंवर आयोजित किया ..इस स्वयंवर में उसने सभी हिन्दू राजाओ और राजपूतो को बुलाया ।
रानी पद्मावती का स्वयंवर भी दिलचस्प तरीके से हुआ। इसमें ये शर्त थी कि जो राजा एक योद्धा को हराएगा, पद्मिनी उसी से विवाह रचाएंगी। मजेदार बात यह थी कि वो योद्धा और कोई नहीं राजकुमारी पद्मिनी स्वयं थीं। राणा रावल रतन सिंह ने पद्मावती को हराकर उनसे विवाह रचाया और इस तरह पद्मावती ने अपने होने वाले पति से पहली ही मुलाकात में युद्ध किया था।
अपमानित कलाकार ने लिया था रतन सिंह से बदला, पद्मावती की खूबसूरती के बारे मे बताया था खिलजी को
रावल रतन सिंह के दरबार में कई प्रतिभाशाली लोग थे जिनमे से राघव चेतन संगीतकार भी एक था। राघव चेतन के बारे में लोगो को ये पता नही था कि वो एक जादूगर भी है। कुछ निजी सूत्रों से जब राजा रतन सिंह को पता चला कि राघव चैतन्य के पास अद्वैत शक्तियां हैं, जिसका वो गलत फायदा उठाता है तो इसके बाद राणा रावल रतन सिंह ने राघव को बेइज्जत कर सभा से बाहर निकाल दिया। राघव चैतन्य ने अपनी बेइज्जती का बदला लेने के लिए राणा रावल रतन सिंह की पत्नी रानी पद्मावती की खूबसूरती का बखान खिलजी से कर दिया। खिलजी ने भी पद्मावती को पाने के लिए राघव से हाथ मिला लिया।
खिलजी ने ऐसे पाई थी रानी पद्मावती की झलक
पद्मावती को पाने की चाह में खिलजी ने राणा रावल रतन सिंह को दोस्ती का प्रस्ताव भेजा और रानी पद्मावती से मिलने की मांग की। लेकिन रानी पद्मावती तो खिलजी के इरादों को पहले ही समझ चुकी थीं। ऐसे में वे खिलजी के सामने नहीं आईं। हालांकि खिलजी ने आईने में पद्मावती की झलक देख ली थी।
अस्मत बचाने के लिए रानी पद्मावती ने किया जौहर
रानी पद्मावती के प्रतिबिम्ब को देखकर ही अलाउद्दीन खिलजी इतना दीवाना हो गया कि किसी भी हाल में पद्मावती को पाने के लिए आतुर हो गया। आखिर उसने जंग छेड़ दी। इस युद्ध में राणा रावल रतन सिंह की मृत्यु हो गई। पद्मावती को किसी भी हाल में खिलजी का दास बनना मंजूर नहीं था। आखिरकार उन्होंने आग में कूदकर अपनी आहूति दे जौहर कर लिया। इसके बाद जब विजयी सेना के साथ खिलजी ने किले में प्रवेश किया तो उनको राख और जली हुई हड्डियों के साथ सामना हुआ |जिन महिलाओ ने जौहर किया उनकी याद आज भी लोकगीतों में जीवित है जिसमे उनके गौरवान्वित कार्य का बखान किया जाता है |