आखिर क्यों जिन्ना की इकलौती संतान दीना ने लिया भारत में ही रहने का फैसला,जानकर हो जायेंगे हैरान
नई दिल्ली: मुहम्मद अली जिन्ना को आखिर कौन नहीं जानता होगा। इन्होने आजादी की लड़ाई में एक अहम योगदान निभाया था। ऐसा भी कहा जाता है कि यह प्रधानमंत्री पड़ के कड़े उम्मीदवार थे। लेकिन जब इन्हें प्रधानमंत्री बनाने पर सहमती नहीं बनी तो पार्टी में फूट पड़ गयी और इन्होने एक नई पार्टी में जाने का फैसला किया। बाद में इन्होने एक अलग देश पाकिस्तान की माँग की। आज इन्हें पाकिस्तान के संस्थापक के रूप में भी जाना जाता है।
बँटवारा होने के बाद पाकिस्तान जाने से कर दिया इनकार:
जिन्ना की इकलौती बेटी दीना वाडिया अब इस दुनिया में नहीं रहीं। गुरुवार को उनका अमेरिका ने न्यूयॉर्क शहर में निधन। बता दें मौत के समय उनकी उम्र 98 साल थी। दीना के पिता जिन्ना पाकिस्तान के संस्थापक थे। लेकिन जब 1947 में बँटवारा हुआ तो दीना ने पाकिस्तान का नागरिक बनाने से अच्छा भारत का नागरिक बनाना समझा और उन्होंने पाकिस्तान जाने से इनकार कर दिया।
17 साल की उम्र में हो गया एक पारसी से प्यार:
15 अगस्त 1919 को जन्म लेने वाली दीना पहली बार पाकिस्तान तब गयीं थीं जब 1948 में उनके पिता मुहम्मद अली जिन्ना की मृत्यु हो गयी। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार दीना के अपने पिता से सम्बन्ध उस समय खराब हो गए जब उन्हें 17 साल की उम्र में एक पारसी नेविल वाडिया से प्यार हो गया और उन्होंने शादी करने का फैसला किया। उनके पिता दीना के इस फैसले से काफी असंतुष्ट थे और दोनों के रिश्ते में दरार बन गयी। दीना ने पिता को छोड़कर नेविल वाडिया का साथ चुना।
पिता के मकबरे पर जाने के बाद लिखी एक किताब:
बताया जाता है कि जब दीना कराँची गयी थीं तो अपने पिता जिन्ना के मकबरे पर भी गयीं थीं। दीना ने उसे अपने जिंदगी का सबसे कटु अनुभव बताया था। उसके बाद दीना दूसरी बार पाकिस्तान 2004 में गयीं थीं। यह दीना की आखिरी पाकिस्तान यात्रा थी, इसके बाद दीना कभी पाकिस्तान नहीं गयीं। कराँची में अपने पिता के मकबरे पर जाने के बाद दीना ने एक किताब भी लिखी थी। दीना के पोते नुस्ली वाडिया आज भी जिन्दा हैं और मुंबई के एक सफल बिसनेसमैन हैं।