… इस तरह बच्चे परिवार में निभा पाएंगे अपनी जिम्मेदारी
“बच्चे मन के सच्चे”. किसी भी परिवार में बच्चों की भूमिका अहम होती है. बच्चे न होने पर एक परिवार अधूरा होता है. बच्चों के बिना संसार में खुशिया अधूरी होती हैं. बच्चे हर तरह के होते है. बच्चों में से कुछ बच्चे अधिक संवेदनशील और समझदार होते हैं. बच्चो के मन में किशोरावस्था के दौरान अक्सर विद्रोह आ जाता है. ये विद्रोह तब उठता है जब बच्चों को लगता है कि उनके माता-पिता उन्हें अपने व्यवहार के अनुरूप नहीं मानते हैं. किसी भी एक इंसान के पास सभी नैतिकता और मूल्यों का होना लगभग बहुत कठिन है लेकिन जब हम माता-पिता बन जाते है तो हमारे कंधों पर ये जिम्मेदारी आ जाती है.
बदल गई है बच्चों की भूमिका-
पिछले कुछ सालों में परिवार में बच्चों की भूमिका में नाटकीय रूप से बदलाव आया है. पुराने समय में जब आजीविका का मुख्य रूप कृषि और खेतों में हल चलाना, जानवरों को खिलाना, मक्खन बनाना, खाना बनाना आदि हुआ करता था तो बच्चों की जरूरत परिवार में आजीविका के लिए आवश्यक मानी जाती थी. बच्चों के अंदर परिवार के अस्तित्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होने की भावना हुआ करती थी. आजकल दुनिया में अभिभावक अपने बच्चों में इस आत्म-मूल्य की भावना को जगाने में असमर्थ हैं. बदलते समय के साथ जरूरते बदली और अभिभावकों और बच्चों दोनों की उम्मीदों में फ़र्क़ आया है.
बच्चों का योगदान परिवार में आवश्यक
आजकल के बच्चों को यह पता है कि अभिभावक उन्हें प्यार करते है. उनकी हर उम्मीद को पूरा. अभिभावक के रूप में उनकी हर उम्मीद को पूरा करना हमारा फ़र्ज़ बनता है. लेकिन अगर हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे हमारी उम्मीदों को भी पूरा करें तो इसके लिए आवश्यक है कि हम अपने बच्चों को यह महसूस करवाये कि उनका योगदान परिवार में आवश्यक है. उन्हें परिवार के सक्रिय और सकारात्मक सदस्य के रूप में जरुरत महसूस करवाए.
अच्छा वातावरण बच्चों के लिए जरूरी-
आजकल के बच्चे अपने स्वयं के घर में अजनबियों जैसा व्यवहार करते है. उन्हें यह महसूस करवाना आवश्यक है कि जितना अधिकार परिवार में अन्य सदस्यों का है उतना ही उनका. परिवार में एक अच्छा वातावरण बनाने से बच्चे ऐसा महसूस कर सकते है.
बच्चों को दें अपना कीमती समय-
परिवार में बच्चों की अहम भूमिका को उन्हें महसूस करवाने से पहले हमें समझने की आवश्यकता है. यह एक ऐसा तथ्य है जो कि हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं. अपने बच्चों को शुरूआती वर्षों के दौरान कीमती उपहार देने के बजाय उन्हें कीमती समय का उपहार देना एक स्थायी निवेश होगा. ऐसा करने से उन्हें हमारी महत्वत्ता मालूम होती है और वो अपने आप को परिवार का एक अंग समझते है. हमें उन्हें हमारे परिवार का महत्व, नैतिकता, मूल्य, दृष्टिकोण और जीवन धारणा आदि महत्वपूर्ण विषयो पर जागरूक करना चाहिए जिससे वो परिवार में अहम भूमिका निभा सके.