जानिए ब्लेड के बीच क्यूं बनी होती है ये ख़ास डिजाईन, इसके पीछे है एक दिलचस्प वजह
रोजमर्रा के उपयोग में आने वाली ढ़ेरों ऐसी वस्तुएं है जिनका हम प्रयोग तो करते हैं पर उनके बारे में कई बातें हम नही जान पाते .. ऐसी ही एक चीज है ..ब्लेड। बचपन से हम इसका उपयोग करते आ रहे हैं..ये हमारे रोज के कामों में काफी अहम् भी है खासकर पुरुषों के लिए तो बेहद जरूरी है.. शेविंग करने से लेकर बाल कटवाने तक के लिए ब्लेड का इस्तेमाल किया जाता है।
लेकिन क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है ब्लेड के बीच में एक खास खाली जगह क्यों छोड़ दी जाती है? .. हर ब्लेड में एक खास डिजाईन क्यों होती हैं? ..शायद आपको इसकी वजह नही पता होगी.. तो चलिए हम आपको आज इस खास डिजाईन की वजह बताते हैं।
जिलेट ने बनाई थी ये खास डिजाइन
ब्लेड के आविष्कार और उसके उत्पादन के पीछे बड़ी ही दिलचस्प कहानी है। साल 1901 में जिलेट कंपनी के संस्थापक किंग कैंप जिलेट ने अपने के सहयोगी विल्लियम निकर्सन के साथ मिल कर ब्लेड को डिज़ाइन किया था। इसी साल इन्होने अपने नए ब्लेड के डिज़ाइन को पेटेंट कराया और साल 1904 में एक औद्योगिक रूप में ब्लेड का उत्पादन शुरू किया ।
1904 के समय जिलेट ने पहली बार 165 ब्लेड बनाये थे।दरअसल जब उस समय ब्लेड शेविंग में इस्तेमाल के लिए ही बनाए जाते थें उनकी डिजाईंनिंग इस तरह की जाती थी कि वे शेविंग करने वाले जिलेट में बोल्ट के साथ फिट किया जा सके इसलिए उसके बीच खाली स्पेस छोड़ी जाती थी।
जिलेट ने ही पहली बार शेविंग रेजर भी बनाया था जिसे आज दुनिया भर की कंपनी कॉपी करती है। सबसे पहले जिलेट ने ब्लू जिलेट ब्लेड नाम से जिलेट ब्लेड का उत्पादन किया था| मर्दों के लिए जिलेट पहली बार एक सौगता लेकर आया था जो उनकी शेव करने की समस्या का एक परमानेंट इलाज था।
दूसरी कम्पनियों ने डिजाईन को किया कॉपी
शुरूआती दोर में केवल जिलेट ही ब्लेड बनाया करती थी …उस समय तक कोई भी कम्पनी ब्लेड बनाने के मैदान में नही थी। पर कुछ समय बाद कम्पनी का यह बोल्ट वाला ब्लेड बनाने का तरीका जान कर अन्य कंपनी भी जिलेट की तरह ही ब्लेड बनाने लगी। लेकिल चूंकि उस समय शेविंग करने के रेज़र केवल जिलेट कंपनी के ही आते थे और रेजर के अंदर इस तरह का भाग होता है जैसा ब्लेड के अंदर अब खाली रहता है इसीलिए ब्लेड की सभी कंपनी ने इस ही तरह के जिलेट के डिजाईन के ही ब्लेड बनाने शुरू कर दिए।
मतलब खाली स्पेस के डिजाईन को दूसरी कम्पनियां इसलिए कॉपी करने लगी क्योंकि उनका इस्तेमाल तो जिलेट के रेजर में ही होना था। तब से लेकर आजतक ब्लेड का सिर्फ एक ही डिज़ाइन मार्किट में आया है और बाद में आयी तमाम कंपनीयाँ इसी डिज़ाइन को फॉलो करती आयी है चाहे वो टोपाज़ हो या फिर मारफक। आज दुनिया में हर रोज लगभग 1 मिलियन के आस पास ब्लेड बनते है और वो सभी इसी डिजाईन के होते हैं। ये था ब्लेड के बीच बनी डिज़ाइन का राज, जिसे खासतौर पर मर्दों के शेविंग करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।