इस तरह की कुंडली वाले लोग होते हैं पराई स्त्रियों को भ्रष्ट करनें में सबसे माहिर
हमारे समाज के हमारे साथ ही कई तरह के लोग रहते हैं। इनमें से कुछ अभूत अच्छे होते हैं तो कुछ बहुत बुरे होते हैं। समझ में नहीं आता है कि इन लोगों की पहचान कैसे की जाए। क्योंकि हर कोई आपके मुँह पर अच्छी-अच्छी बातें ही करता है। लेकिन उसका असली रंग समय आनें पर ही दिखता है। समाज के ऐसे लोगों से बचनें की बहुत आवश्यकता है, उसके लिए उनके बारे में पता होनें की जरुरत है। ऐसे लोगों की पहचान कैसे की जाये, इसके लिए हम ज्योतिषशास्त्र का सहारा भी ले सकते हैं।
कुंडली के अध्ययन से पता चल सकता है उनकी मानसिक दशा का:
ज्योतिषशास्त्र इस बात को स्पष्ट रूप से बताता है कि किसी व्यक्ति की कुंडली में कौन सा ग्रह किस भाव और किस राशि में विचरण कर रहा है। उन्हें ग्रहों की युति-दुष्टि प्राप्त हो रही है तो उस व्यक्ति का चरित्र कैसा होगा। इसके साथ ही उस व्यक्ति की कुंडली के अनुसार चल रही दशा-अंतर्दाशा और गोचर की दशा ये आसानी से बता सकती है कि अमुक व्यक्ति उस समय क्या सोच रहा है। उसके मन में किस तरह के विचार पल रहे हैं, उसकी मानसिक दशा उस समय क्या है? वह समाज के लिए अच्छे हैं या बुरे, इन सब बातों का भी पता लगाया जा सकता है।
ऐसे व्यक्तियों के बारे में जानकर हो सकते हैं सावधान:
अगर व्यक्ति के कुंडली का सूक्ष्म अध्ययन किया जाये तो उसके बारे में सबकुछ पता लगाया जा सकता है। व्यक्ति का चरित्र कैसा होगा और वह आपसे किस मंशा के साथ जुड़ रहा है। कहीं वह सिर्फ अपने फायदे के लिए तो आपसे नहीं जुड़ रहा है, यह भी आसानी से पता चल जायेगा। ऐसे में आप उससे सावधान हो सकते हैं। अगर आप ऐसे व्यक्तियों के बारे में नहीं जान पाते हैं तो आप उनके जाल में फँस जाते हैं और आपको जीवन में कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ता है।
महिलाओं को जाल में फँसाकर कर दी उनकी जिंदगी बर्बाद:
आज हम आपको एक उदहारण के द्वारा यह सिद्ध कर देंगे कि व्यक्ति की कुंडली का अध्ययन किस प्रकार से करके आप होनें वाले छल से बच सकते हैं। आज हम आपको एक तुला राशि के जातक की कुंडली के बारे में बतानें जा रहे हैं, जिसनें जीवनभर दूसरों को धोखा दिया और अपने छद्म जाल और वाग्जाल में फँसाकर ना जानें कितनी ही महिलाओं की जिंदगी बर्बाद कर दी। उस व्यक्ति के लग्न चक्र के प्रथम भाव में शुक्र, तृतीय भाव में केतु और शनि, चतुर्थ भाव में मंगल और बुध, सप्तम भाव्मे चन्द्र, अष्टम भाव्मे बृहस्पति एवं नवम भाव में राहू और सूर्य बैठे हुए हैं।
जातकों के चरित्र को बनाती है संदेहास्पद:
उपरोक्त दी हुई कुंडली में तृतीय और चतुर्थ भाव सबसे ज्यादा ध्यान देने योग्य है। इस कुंडली में तीसरे स्थान पर केतु के साथ शनि की मौजूदगी तथा चतुर्थ भाव में मंगल के साथ बुध और सप्तम भाव में चन्द्र की उपस्थिति सम्बंधित जातक के चरित्र को संदेहास्पद बनाती है। इस तरह के व्यक्ति में दया नाम की कोई भावना नहीं होती है। इसके स्थान पर उनके अन्दर क्रूरता भरी रहती है। उसका ज्यादातर ध्यान परे स्त्रियों को भ्रष्ट करनें में लगा रहता है। अगर आपको भी इस तरह की कुंडली वाला कोई व्यक्ति मिले तो उसके ऊपर भूलकर भी यकीन ना करें, वरना वो आपकी भी जिंदगी को नर्क बना देगा।