शरणार्थी हिंदुओं के लिए मोदी सरकार की नायाब भेंट
मोदी सरकार ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आये अल्पसंख्यक शरणार्थियों ( Non Muslim refugees) के लिए एक बड़ी राहत देते हुए, उन्हें बैंक खाते खोलने और प्रॉपर्टी खरीदने की अनुमति दे दी है।
Non Muslim Refugees
एक बयान में गृह मंत्रालय ने बताया कि केंद्र सरकार अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्तियों के लिए कुछ सुविधाएं बढ़ा रही है।
बयान में यह भी बताया गया कि; हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई (गैर-मुसलमान) जो भारत में लांग टर्म वीजा (एलटीवी) पर रह रहें है, उन्हें त्याग प्रमाण पत्र के स्थान पर शपथ पत्र प्रस्तुत करने की अनुमति दी गयी है। शिक्षा और रोजगार के लिए वीजा पर अब दो साल के बजाय पांच साल की छूट दी जा रही है।
खबरों में यह भी बताया गया कि ऐसे लोग भी ड्राइविंग लाइसेंस, पैन और आधार कार्ड के रूप में पहचान वाले दस्तावेजों का भी उपयोग कर सकेंगे।
शरणार्थि अब अपने मौजूद निवास से भी एलटीवी के लिए आवेदन कर सकतें हैं। ऐसा वो तब भी कर सकतें है, जब उन्होंने बिना आवेदन के अपना स्थान बदल दिया हो।
गृह मंत्रालय ने भी एलटीवी और नागरिकता देने के लिए गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, हरियाणा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में जिला स्तर पर विशेष शिविर का आयोजन किया।
जब से नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आयी है, तबसे कई रियायतें हिंदुओं और पड़ोसी देशों के सिखों के लिए पेश की गई है।
इस कदम से मोदी सरकार ने अपनी चुनाव पूर्व प्रतिबद्धता को दर्शाया है कि जो गैर-मुसलमान दूसरे देशों से उत्पीड़न झेल कर आएं है, वो भारत में विशेष छूट के पात्र हैं।
मोदी ने 2014 लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कहा था, “हमारे ऊपर दूसरे देशों में परेशान हुए हिंदुओं की जिम्मेदारी है। सिर्फ भारत ही उनके लिए सही जगह है। हमें उन्हें यहां समायोजित करना होगा।”
हालांकि फ़िलहाल कोई निश्चित आंकड़ा नहीं है, लेकिन एक अनुमान से पता चलता है कि भारत में दो लाख से ज्यादा शरणार्थि रह रहें हैं, जिनमें ज्यादातर हिन्दू और पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के सिख हैं।