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आखिर 3 साल की इस कन्या को क्यों दिया गया देवी का दर्जा, जानकर हो जायेंगे हैरान

काठमांडू: भारत हो या विश्व का कोई भी देश, बच्चों को सबसे ज्यादा प्यार और सम्मान दिया जाता है। बच्चे ईश्वर की सबसे प्यारी और खुबसूरत रचना हैं। बच्चों की मासूमियत देखकर किसी भी व्यक्ति का दिल पिघल जाता है। ऐसे ही नहीं बच्चों को भगवान का रूप माना जाता है। सच में बच्चों के अन्दर भगवान का निवास होता है। कहा जाता है कि भगवान वहीँ निवास करते हैं, जहाँ सच्चाई होती है।

बच्चों का हृदय सबसे सच्चा होता है। उनके मन में किसी के लिए द्वेष नहीं होता है। वह सभी को एक नजर से देखते हैं। उनके लिए हर व्यक्ति एक जैसा होता है। वह सभी के ऊपर भरोसा करते हैं और सबको प्यार करते हैं। बच्चों की नटखट प्रवृत्ति भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की याद दिलाता है। हिन्दू धर्म में बच्चों को भगवान ही माना जाता है।

आज भी नेपाल में हैं हिन्दू सबसे ज्यादा:

आप तो जानते ही होंगे कि हर देश की अपनी एक परम्परा और संस्कृति होती है। उस देश के लोग उसी संस्कृति और परम्परा का पालन करके महान बनते हैं। एक समय था जब नेपाल को विश्व का इकलौता पूर्ण रूप से हिन्दू देश माना जाता था। लेकिन आज वहाँ भी कई धर्मों के लोग मिलकर रहते हैं। हालांकि आज भी नेपाल में सबसे ज्यादा हिन्दू आबादी ही है।

तीन साल की बच्ची को दिया गया कुमारी का दर्जा:

हिन्दू धर्म के भगवान शिव का एक प्रसिद्ध मंदिर पशुपतिनाथ भी नेपाल में ही स्थित है। पशुपतिनाथ के दर्शन के लिए दुनिया भर के हिन्दू वहाँ हर साल जाते हैं। नेपाल में एक परम्परा निभाई जाती है, जिसके चलते नेपाल को पूरी दुनिया में जाना जाता है। जी हाँ वहाँ कम उम्र की एक कन्या को देवी का दर्जा दिया जाता है। हाल ही में नेपाल में तीन साल की एक बच्ची को “कुमारी” का दर्जा दिया गया है।

राष्ट्रपति ने दे दी औपचारिक मंजूरी:

कन्या की हिन्दू और बौद्ध मतावलंबियों ने पूजा की। तृष्णा शाक्य नाम की यह कन्या अब कुमारी की भूमिका निभाएगी। इससे पहले यह भूमिका तृप्ति शाक्य निभा रही थी। इन्हें 4 साल की उम्र में सन 2008 में कुमारी का दर्जा दिया गया था। नेपाल में कुमारी को देवी का स्थान दिया जाता है। कुमारी की भूमिका की औपचारिक मंजूरी के लिए तृष्णा को गुरुवार के दिन राष्ट्रपति भवन ले जाया गया था। इस पद के लिए राष्ट्रपति की औपचारिक मंजूरी की जरुरत होती है। तृष्णा का चयन गुथी संस्थान मैनेजमेंट कमिटी की सिफारिशों के आधार पर किया गया था।

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