आज ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा से इन पेशे वालों की बदल जाएगी किस्मत, जानें कैसे
आज शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन है, आज के दिन मान्यता अनुसार माता के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा बड़ी श्रद्धा के साथ की जाती है। आज के दिन हिन्दू धर्म में आस्था रखनें वाले सभी लोग माता की पूजा-अर्चना से उन्हें प्रसन्न करनें का प्रयास करते हैं। ऐसा मन जाता है कि अगर माता को प्रसन्न कर दिया गया तो व्यक्ति के जीवन में किसी तरह की परेशानी नहीं आती है। अगर व्यक्ति सच्चे मन से माता की आराधना करता है तो उसका जीवन ही बदल जाता है।
देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरुप है खिलते कमल समान:
ब्रह्मचारिणी का अर्थ होता है ब्रह्म जैसे आचरण रखनें वाला। देवी दुर्गा का यह दूसरा रूप मंगल ग्रह पर अपना आधिपत्य रखती हैं। ब्रह्मचारिणी देवी उस बच्चे की अवस्था को संबोधित करती हैं जो अब धीरे-धीरे बड़ा हो रहा है और जिसका उद्देश्य शक्ति प्राप्त करना है। ऐसा माना जाता है कि देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरुप खिलते कमल के समान है, जिसमें से निरंतर प्रकाश निकलता रहता है। माता का यह रूप शांत, ज्योतिर्मय और मग्न होकर तप में लगा हुआ है।
माता के मुखमंडल पर कठोर तप की वजह से एक अलघ तरह की ज्योति है। माता के इस रूप के दाहिनें हाथ में अक्षमाला और बाएं हाथ में कमण्डल है। माता को साक्षात ब्रह्मत्व का रूप में माना जाता है। माता का यह रूप गौरवर्ण का है और ध्वल रंग का वस्त्र धारण किये हुए है। माता के सभी गहनों में कमल जड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि देवी ब्रह्चारिणी का यह रूप माता पार्वती के उस रूप से है जब उन्होंने शिव अर्थात ब्रह्म को साधनें के लिए कठोर तप किया था।
माता की साधना का सम्बन्ध है मंगल ग्रह से:
देवी ब्रह्मचारिणी की साधना का सम्बन्ध मंगल ग्रह से है। कालपुरुष सिद्धांत के अनुसार मंगल ग्रह का सम्बन्ध कुंडली में प्रथम और आठवें भाव से होता है। इसलिए माना जाता है कि देवी ब्रह्मचारिणी की साधना से व्यक्ति को बुद्धि, मानसिकता, आचरण, दैहिक सुख, निष्ठा, सेहत, आयु, बुद्धिमत्ता की प्राप्ति होती है। वास्तुपुरुष सिद्धांत के अनुसार देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा का सम्बन्ध अंगारकाय से है, इनकी दिशा दक्षिण मानी गयी है।
कठिन से कठिन परीक्षा में भी मिलती है माता की पूजा से सफलता:
माता की साधना का सबसे उत्तम समय ब्रह्ममुहूर्त माना जाता है। माता की पूजा करते समय उन्हें लाल-सफ़ेद आभा लिए पुष्पों से करनी चाहिए। माता को गेंहूं से बने मिष्ठानों का भोग लगाना शुभ होता है। ऐसा कहा जाता है कि अगर मंदबुद्धि माता की साधना करता है तो वह भी बुद्धिमान बन जाता है। माता की साधना करनें से व्यक्ति कठिन से कठिन परीक्षा में भी सफल हो जाता है। चिकित्सा, मैकेनिकल, इंजीनियरिंग और सुरक्षा सेवा से जुड़े लोगों के लिए माता की पूजा करने से काफी फायदे मिलते हैं।