प्रद्युमन का परिवार न्याय के लिए भटकता रहा, उधर किसी ने कर दिया पिंडदान, जानिए कौन है वो पिंडदानी
प्रदुम्न हत्याकांड को करीब 15 दिन हो गए है, लेकिन परिवार को अब भी न्याय नहीं मिल पाया। हरियाणा सरकार ने मामले की सीबीआई जांच कराने की संस्तुति देकर न्याय मिलने की उम्मीद जगा दी है। वहीं दूसरी तरफ इस मामले में बिहार के गया से चौकाने वाली ख़बर सामने आई है। जहां प्रदुम्न के परिवार के बिना ही किसी ने पिंडदान कर दिया गया, और पूरे वैदिक क्रियाकर्म के साथ आत्मा की शांति के लिए भी पाठ संपन्न किया
क्यों किया प्रदुम्न का पिंडदान
हिन्दू धर्म शास्त्रों के मुताबिक मृत्यु के बाद आत्म शांति के लिए पिंडदान और शांति पाठ करना जरूरी है। पितृपक्ष इसके लिए सबसे अहम माना गया है। जिसमें लोग अपने पूर्वजों को याद करते हुए उन्हे तर्पण देते है। पूर्वजों को मोक्ष मिले इसके लिए बिहार के गया जिले में आकर लोग तर्पण करते हैं। यहां एक परिवार ऐसा है जो बीते करीब 15 सालों से ऐसे लोगों का कर्म कांड और पिंडदान करता चला आ रहा है जिन्होने जीवित रहते समाज को काफी कुछ दिया है। इस परिवार ने देश में बच्चों की सुरक्षा के लिए अलख जगाने वाले प्रदुम्न का पिंडदान कर के मोक्ष की कामना की है। गया के देवघाट पर चंदन ने धार्मिक कर्मकांडों और परम्पराओं के मुताबिक पितृपक्ष के आखिरी दिन सामूहिक तर्पण और पिंडदान किया।
सभी को मोक्ष मिले यही कामना
गया के रहने वाले चंदन कुमार सिंह ने गुरुवार को प्रसिद्घ विष्णुपद मंदिर के नजदीक देवघाट पर पूरे हिन्दू रीति-रिवाज और धार्मिक परम्पराओं के मुताबिक गुरुग्राम के रायन इंटरनैशनल स्कूल के छात्र प्रद्युमन, पत्रकार गौरी लंकेश और गोरखपुर में ऑक्सीजन की कमी से मौत के शिकार हुए बच्चों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण किया।
गुजरात भूकंप के शिकार लोगों का भी किया था पिंडदान
चंदन ने बताया कि उनके पिता सुरेश नारायण ने साल 2001 में गुजरात भूकंप का शिकार हुए लोगों का पिंडदान किया था। उसके बाद से इस परिवार के लिए यह कार्य परंपरा बन गई। मेरे पिता ने लगातार 13 वर्षों तक इस परंपरा का निर्वाह किया और उनके निधन के बाद मैं इस कार्य को निभा रहा हूं।
चंदन का कहना है कि पूरी दुनिया अपनी है। अगर किसी का बेटा या परिजन होकर पिंडदान करने से किसी की आत्मा को शांति मिल जाती है, तो इससे बड़ा कार्य क्या हो सकता है। बकौल चंदन, गया की इस धरती पर कोई भी व्यक्ति तिल, गुड़ और कुश के साथ पिंडदान कर दे तो उसके पूर्वजों को मुक्ति मिल जाती है। चंदन कहते हैं कि उनके पिता ने मृत्यु के समय ही कहा था कि वह रहे हैं या न रहें परंतु यह परंपरा चलनी चाहिए।