स्कूल प्रबंधन ने बच्चे के बाजू पर देखा ब्लू व्हेल का निशान, बच्चे का जवाब सुनकर हो गए हैरान…
बटाला: मौत के खेल के नाम से चर्चित हो चुके ब्लू व्हेल के खूनी जाल में फंसकर हर रोज दुनिया के कई बच्चे मर रहे हैं। पूरी दुनिया में इस खेल की वजह से कई बच्चे आत्महत्या कर चुके हैं। बच्चों की आत्महत्या का यह सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। भारत में भी बच्चे इस मौत के खेल के जाल में बुरी तरह से फँस चुके हैं। अब धीरे-धीरे यह खूनी खेल पंजाब में भी अपने पाँव फैला रहा है।
बाजू पर बनाया था ब्लेड से काटकर ब्लू व्हेल:
कुछ दिन पहले ही इस खूनी खेल के जाल में फंसकर पठानकोट में एक छात्र ने आत्महत्या की कोशिश की थी। उसके बाद से कई बच्चों ने इस खूनी खेल में फँसे होने की बात स्वीकारनी शुरू कर दी है। इस खूनी खेल के जाल में बटाला के कई छात्र भी फँसे हुए हैं। इस बात का खुलासा उस समय हुआ, जब एक स्कूल के टीचर ने तीसरी कक्षा के एक छात्र के बाजू पर ब्लेड से काटकर ब्लू व्हेल बना हुआ देखा।
जब इस बारे में बच्चे से स्कूल प्रबंधन ने पूछताछ की तो उनके पैरों तले जमीन ही खिसक गयी। उन्हें पता चला कि स्कूल के छठी कक्षा के कई छात्र इस खूनी खेल को गुपचुप तरीके से खेल रहे हैं। बच्चों के माता-पिता को इस बात की जरा भी भनक नहीं है कि उनका बच्चा खूनी खेल के जाल में फँस चुका है। बच्चे ने स्कूल प्रबंधन को बताया कि इस खेल में कई खतरे हैं। उसनें खेल में मिले कई खतरनाक चुनौतियों को पार किया है।
छठवी कक्षा के छात्रों ने उकसाया था यह खूनी खेल खेलनें के लिए:
अब वह खेल के अंत तक पहुँचने वाला है। जब खेल का अंत हो जायेगा तो वह असली हीरो बन जायेगा। उसनें बताया कि उसे इस स्कूल के छठवी कक्षा के ही छात्रों ने इस खेल को खेलनें के लिउए उकसाया था। जैसे ही इस खूनी खेल के बारे में स्कूल प्रबंधन को पता चल, वह हरकत में आ गया। स्कूल के प्रधानध्यापक ने बच्चों के माता-पिता को फ़ोन पर उनकी हरकतों पर निगरानी रखनें के लिए कहा है। स्कूल के शिक्षकों को भी यह हिदायत दी गयी है कि वह कक्षा में गुमसुम रहने वाले बच्चे पर नजर रखें और पता करें कि कहीं वह ब्लू व्हेल के खूनी खेल में तो नहीं फँस चुके हैं।
बच्चों की हर गतिविधि पर नजर रखनें की जरुरत:
इस बारे में मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि बच्चों को इस खूनी खेल के जाल से बचानें के लिए माता-पिता को काफी सतर्क रहने की जरुरत है। उन्हें बच्चों की हर गतिविधि पर नजर रखनें की जरुरत है। हो सके तो बच्चों को मोबाइल से दूर रखें। बच्चों से बातचीत अर्ते रहें और पता लगानें की कोशिश करें कि कहीं वह ब्लू व्हेल के जाल में तो नहीं फँस चुका है। अगर उन्हें अपने बच्चे के व्यवहार में किसी तरह का बदलाव दिखाई देता है तो वह तुरंत मनोवैज्ञानिक की सलाह लें।