मैंने गांधी को क्यों मारा , Nathuram Godse का अंतिम बयान जो लोगों को ज़रूर जानना चाहिए
30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोड़से ने गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। गोली मारने के बाद नाथूराम गोड़से घटना स्थल से फरार नही हुआ, उसने आत्मसमर्पण कर दिया l – Know why Nathuram Godse killed Mahatma Gandhi
नाथूराम गोड़से (Nathuram Godse) समेत 17 दोषियों पर गांधी की हत्या का मुकदमा चलाया गया :
नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse’s last statement) का अंतिम बयान , कहा जाता है की इसे सुनकर अदालत में उपस्थित सभी लोगो की आँखे गीली हो गई थी और कई तो रोने लगे थे। एक जज महोदय ने अपनी टिपणी में लिखा था की यदि उस समय अदालत में उपस्थित लोगो को जूरी बना जाता और उनसे फेसला देने को कहा जाता तो निसंदेह वे प्रचंड बहुमत से नाथूराम के निर्दोष होने का निर्देश देते!
इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान जज खोसला से नाथूराम ने अपना पक्ष खुद पढ़ कर जनता को सुनाने की अनुमति माँगी थी, जिसे जज ने स्वीकार कर लिया था l
आगे देखिये नाथूराम गोड़से (Nathuram Godse) के आखिरी वो बयान के कुछ खास अंश :
नाथूराम जी ने अपने बयान में कहा था – ” सम्मान ,कर्तव्य और अपने देश वासियों के प्रति प्यार कभी कभी हमें अहिंसा के सिद्धांत से हटने के लिए बाध्य कर देता है . में कभी यह नहीं मान सकता की किसी आक्रामक का सशस्त्र प्रतिरोध करना कभी गलत या अन्याय पूर्ण भी हो सकता है .
प्रतिरोध करने और यदि संभव हो तो ऐसे शत्रु को बलपूर्वक वश में करना को मैं एक धार्मिक और नैतिक कर्तव्य मानता हूँ . मुसलमान अपनी मनमानी कर रहे थे, या तो कांग्रेस उनकी इच्छा के सामने आत्मसर्पण कर दे और उनकी सनक ,मनमानी और आदिम रवैये के स्वर में स्वर मिलाये अथवा उनके बिना काम चलाये .वे अकेले ही प्रत्येक वस्तु और व्यक्ति के निर्णायक थे।
महात्मा गाँधी अपने लिए जूरी और जज दोनों थे .गाँधी जी ने मुस्लिमों को खुश करने के लिए हिंदी भाषा के सौंदर्य और सुन्दरता के साथ बलात्कार किया। गाँधी जी के सारे प्रयोग केवल और केवल हिन्दुओ की कीमत पर किये जाते थे। जो कांग्रेस अपनी देश भक्ति और समाज वाद का दंभ भरा करती थी . उसी ने गुप्त रूप से बन्दुक की नोक पर पाकिस्तान को स्वीकार कर लिया और जिन्ना के सामने नीचता से आत्मसमर्पण कर दिया।
मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के कारण भारत माता के टुकड़े कर दिए गय और 15 अगस्त 1947 के बाद देश का एक तिहाई भाग हमारे लिए ही विदेशी भूमि बन गई। नेहरु तथा उनकी भीड़ की स्वीकारोक्ति के साथ ही एक धर्म के आधार पर अलग राज्य बना दिया गया .इसी को वे बलिदानों द्वारा जीती गई स्वतंत्रता कहते है। और, किसका बलिदान ?
जब कांग्रेस के शीर्ष नेताओ ने गाँधी जी के सहमती से इस देश को काट डाला ,जिसे हम पूजा की वस्तु मानते है , तो मेरा मस्तिष्क भयंकर क्रोध से भर गया .मैं साहस पूर्वक कहता हूँ की गाँधी अपने कर्तव्य में असफल हो गए। उन्होंने स्वयं को पाकिस्तान का पिता होना सिद्ध किया।
मैं कहता हूँ की मेरी गोलियां एक ऐसे व्यक्ति पर चलाई गई थी ,जिसकी नीतियों और कार्यो से करोड़ों हिन्दुओं को केवल बर्बादी और विनाश ही मिला। ऐसी कोई क़ानूनी प्रक्रिया नहीं थी जिसके द्वारा उस अपराधी को सजा दिलाई जा सके, इसीलिए मैंने इस घातक रास्ते का अनुसरण किया।
मैं अपने लिए माफ़ी की गुजारिश नहीं करूँगा ,जो मैंने किया उस पर मुझे गर्व है . मुझे कोई संदेह नहीं है की इतिहास के इमानदार लेखक मेरे कार्य का वजन तोल कर भविष्य में किसी दिन इसका सही मूल्यांकन करेंगे। जब तक सिन्धु नदी भारत के ध्वज के नीचे से ना बहे तब तक मेरी अस्थियो का विसर्जन मत करना।
देखिये वीडियो – (Nathuram Godse’s last speech in court)
नाथूराम ने न्यायालय में स्वीकार किया कि गांधी जी बहुत बड़े देशभक्त थे उन्होंने निस्वार्थ भाव से देश सेवा की | मैं उनका बहुत आदर करता हूँ लेकिन किसी भी देशभक्त को देश के टुकड़े करने के ,एक समप्रदाय के साथ पक्षपात करने की अनुमति नहीं दे सकता हूँ l गांधी जी की हत्या के सिवा मेरे पास कोई दूसरा उपाय नहीं था l
अगर आप सहमत है तो इस सच्चाई v “शेयर ” कर के उजागर करे।