पिता के निधन के बाद किया वेटर का काम, प्याज-रोटी खाकर की पढ़ाई, अब हिमांशु बना नायब तहसीलदार
संसार में किसी भी मनुष्य का जीवन एक समान नहीं है। किसी के जीवन में खुशियां हैं, तो किसी के जीवन में परेशानियां हैं। दुनिया में ऐसे बहुत से लोग रहते हैं, जिनके जीवन की परेशानियां कम होने का नाम ही नहीं लेती हैं। एक के बाद एक जिंदगी में कोई ना कोई परेशानी उत्पन्न होती रहती है। वहीं ज्यादातर लोग अपने जीवन की परेशानियों और कठिनाइयों के आगे हार मान जाते हैं लेकिन दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी रहते हैं जो अपने जीवन की हर कठिन परिस्थिति का सामना करते हुए आगे बढ़ते रहते हैं।
हर इंसान यही चाहता है कि वह एक सफल व्यक्ति बने। लेकिन सफलता के लिए इंसान को कड़ी मेहनत करने के साथ-साथ कड़ा संघर्ष भी करना पड़ता है। आज हम आपको हिमांशु की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं। यह उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं, जिनके सपने तो बड़े हैं लेकिन वह अपने हालातों से डर जाते हैं। हिमांशु ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया और आखिरकार इन्होंने अपनी मंजिल हासिल कर ली।
वेटर का किया काम
हरियाणा के बहादुरगढ़ के जाखौदा मोड़ बाईपास पर स्थित देशी ढाणी होटल में वेटर का काम करने वाले हिमांशु उत्तर प्रदेश में नायब तहसीलदार बन गए हैं। हालांकि वेटर से नायब तहसीलदार के इस सफर में हिमांशु को कई बाधाओं का सामना करना पड़ा। हिमांशु के इस सफर में कई बार ऐसे भी परिस्थितियां उत्पन्न हुईं, जब उनकी हिम्मत भी जवाब देने लगी। लेकिन उन्होंने किसी भी विषम परिस्थिति के आगे हार नहीं मानी और हर परिस्थिति में खुद को संभालते हुए अपने लक्ष्य पर फोकस किया। हिमांशु की इच्छा शक्ति और मेहनत का ही फल प्राप्त हुआ कि वह यूपी पीसीएस के परीक्षा पास कर पाए।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस सफलता की सूचना जब देसी ढाणी होटल तक पहुंची तो पूरे होटल में हिमांशु का जोरदार स्वागत किया गया। भारतीय तैराकी संघ के उपप्रधान, हरियाणा ओलम्पिक संघ के महासचिव और हरियाणा तैराकी संघ के महासचिव अनिल खत्री ने फूलमाला और मिठाई खिलाकर हिमांशु को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी। होटल मालिक सुनील खत्री और विकास खत्री ने भी फूलमाला पहनाकर हिमांशु को बधाई दी है। देशी ढाणी के स्टाफ ने भी अपने साथी की सफलता पर उसे मिठाई खिलाकर शुभकानाएं दी।
पिता का हो गया है निधन
दरअसल, हिमांशु उत्तर प्रदेश के कानपुर के पास स्थित औरैया का रहने वाला है। पिता रेलवे में कर्मचारी थे। कुछ समय पहले ही उनका निधन हो गया। हिमांशु के दो छोटे भाई भी हैं, जो फिलहाल पढ़ाई करते हैं। हिमांशु ने अपने परिवार को संभालने में साथ दिया। उन्होंने पढ़ाई के बाद काम शुरू कर दिया था। हिमांशु ने एमकॉम कर रखा है। उससे पहले बैंक के ग्राहक सेवा केंद्र में काम किया करते थे। उसके बाद देसी ढाणी होटल पर वेटर का काम करने लगे। होटल स्टाफ और मालिक से भी उसे पढ़ाई और परिवार को चलाने में काफी सहायता मिली।
प्याज रोटी खाकर भूख मिटानी पड़ी
हिमांशु ने बताया कि उन्होंने अपने घर में किसी को नहीं बताया था कि वह वेटर का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि उनके जिंदगी में कई बार ऐसा वक्त भी आया जब उन्हें प्याज रोटी खाकर ही भूख मिटानी पड़ी लेकिन किसी भी हालात में उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। हिमांशु ने कहा कि वह दिन में काम करते थे और रात में पढ़ाई करते। वेटर से नायब तहसीलदार के इस सफर में हिमांशु ने खाना परोसने के साथ, टेबल साफ करने, बर्तन धोने और झाड़ू पोछा लगाने का भी काम किया। उन्होंने कभी भी किसी काम को छोटा या बड़ा नहीं समझा।