अध्यात्म

भयंकर नाराज चल रहे हैं शनि देव, जुलाई के साथ इस महीने में बहुत संभलकर रहना होगा

ज्योतिष में शनि देव को सबसे गुस्सैल देवता के रूप में देखा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जिस व्यक्ति से शनिदेव प्रसन्न हो जाते हैं, तो उनके हर संकट हर लेते हैं लेकिन अगर शनिदेव नाराज हो जाएं, तो जीवन में एक के बाद एक कई परेशानियां आने लगती हैं। शनि देव न्याय के देवता हैं। यह मनुष्य को उसके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। इसलिए शनिदेव को कर्मफलदाता भी कहा जाता है।

शनि देव एक ऐसे देवता हैं, जो किसी भी व्यक्ति की किस्मत एक पल में बदल सकते हैं। आप शनिदेव को चाहे संकट शनि कहें या कंटक शनि, प्रहारक शनि कहें या विनाशक शनि, कष्ट निवारक शनि कहें या रक्षक शनि, धर्मप्रिय शनि कहें या सेवाप्रिय शनि, इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।

shani dev

लेकिन आपको इतना जरूर जान लेना चाहिए कि इस बार साल 2023 से लेकर मार्च 2025 तक शनि देव अच्छे मूड में नजर नहीं आ रहे हैं। जी हां, क्योंकि शनिदेव बेहद नाराज चल रहे हैं। इसलिए काफी संभलकर रहना होगा।

शनि नक्षत्र परिवर्तन 2023

वहीं अगर हम शनिदेव के नक्षत्र परिवर्तन के बारे में बात करें, तो शनि देव रविवार 5 मार्च को अश्लेषा नक्षत्र के रहते फाल्गुनी कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को पूर्व में उदित होकर गतिशील हुए थे। वहीं इसके बाद शनिवार 17 जून को रोहिणी नक्षत्र के होते हुए आषाढ़ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को 22:57 बजे पर कुंभ राशि में वक्री हुए।

वहीं शनि देव रविवार 15 अक्टूबर अश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा नवरात्रा प्रारंभ के पहले दिन धनिष्ठा नक्षत्र के चौथे चरण में प्रवेश करने वाले हैं। इसके बाद शनिवार 4 नवंबर कार्तिक कृष्ण पक्ष की सप्तमी को पुनर्वसु नक्षत्र में होते हुए मार्गी हो जाएंगे। फिर शुक्रवार 24 नवंबर कार्तिक शुक्ल पक्ष की गरुड़ द्वादशी को दोबारा शतभिषा नक्षत्र में प्रवेश कर लेंगे।

जुलाई-सितंबर में शनि देव हो सकते हैं भयंकर क्रोधित!

आपको बता दें कि शनि मंगलवार 4 जुलाई को प्रथम श्रावण कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से गुरुवार 31 अगस्त को द्वितीय श्रावण पक्ष को खंडित होते हुए पूर्णिमा तक दोनों श्रावण-अधिकमास सहित शनि के वक्रत्व काल में ही हैं। इसके बीच शनि के मित्र शुक्र भी रविवार 23 जुलाई प्रथम श्रावण शुक्ल की पंचमी को सिंह राशि में रहते हुए 7:01 बजे पर वक्री हो जाएंगे जो सोमवार 4 सितंबर को कर्क राशि में रहते हुए मार्गी होने वाले हैं यानी कि एक और देवाधिदेव श्री शिवप्रिय श्रावण में बाधा तो दूसरी तरफ शनि तथा शुक्र की वक्रत्व स्थिति को शुभ योग या अनुकूल समय नहीं माना जा रहा है। इस संबंध में कुछ मतान्तर भी हैं।

कब है शनि प्रदोष?

आपको यह भी बता दें कि इस वर्ष 19 मई को शनि जयंती मनाई गई। वहीं शनिवार 21 दिसंबर और 14 अक्टूबर को शनि अमावस्या पड़ रही है। ऐसे में शनि प्रदोष व्रत की बात करें, तो कुल 3 शनि प्रदोष व्रत हैं- शनिवार 18 फरवरी, शनिवार 15 जुलाई, शनिवार 11 नवम्बर। बताते चलें कि शनि देव न्याय प्रिय देवता हैं, यह हमेशा कर्तव्य पथ पर चलते हैं। लंका दहन के समय पवन पुत्र हनुमान जी ने शनिदेव को मुक्त कराया था। इसी वजह से शनि देव श्री शिवजी के बाद हनुमान जी के सामने ही झुकते हैं। जो लोग शनिवार के दिन हनुमान जी की उपासना करते हैं, उनको शनिदेव परेशान नहीं करते हैं।

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