चॉल से निकले हसमुखभाई पारेख ने 4,14,000 करोड़ की कंपनी बनाई, जानिए HDFC की कहानी
जब भी देश-विदेश के अमीर बिजनेसमैन परिवार की बात आती है, तो अंबानी फैमिली इस लिस्ट में जरूर शामिल होती है। रिलायंस के संस्थापक धीरूभाई अंबानी ने एक चॉल से शीर्ष तक का सफर तय किया है। एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति और धीरूभाई अंबानी के बेटे मुकेश अंबानी भाई अनिल के साथ एक ही कमरे में पले-बढ़े जहां 8-9 लोग एक साथ रहते थे। हालांकि, अपने पिता की दी गई शिक्षा, सबक और सोच की बदौलत आज मुकेश अंबानी मुंबई की सबसे बड़ी और आलीशान बिल्डिंग ‘एंटीलिया’ में अपने परिवार के साथ रहते हैं।
लेकिन अंबानी फैमिली और रिलायंस की कहानी अकेली नहीं है, जो मुंबई की एक चॉल से शुरू होती है। एचडीएफसी (Housing Development Finance Corporation) के संस्थापक एचटी पारेख की कहानी भी सबसे प्रेरणादायक कहानियों में से एक है। हसमुखभाई पारेख ने भारत के बैंकिंग सेक्टर में नया कीर्तिमान दर्ज किया था। उन्होंने बैंकिंग सेक्टर में जो काम किया है उसके चलते वे हमेशा याद किए जाते रहेंगे। हसमुखभाई पारेख ने HDFC को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। इनकी वजह से ही HDFC आज देश की सबसे दिग्गज कंपनियों में शामिल है।
मुंबई की चॉल में रहते थे
हसमुखभाई का जन्म गुजरात के सूरत में 10 मार्च 1911 को हुआ था। हंसमुख भाई पारेख कभी चॉल में रहा करते थे। चॉल में ही उनका बचपन गुजरा। उन्होंने मुंबई से अर्थशास्त्र में स्नातक किया। इसके बाद उन्हें ब्रिटेन में आगे की पढ़ाई करने का मौका मिला। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में फेलोशिप करने के बाद में अपने देश में लौटकर बॉम्बे के सेंट जेवियर्स कॉलेज से अपनी डिग्री पूरी की थी।
ICICI बैंक में की नौकरी
स्टॉक ब्रोकिंग फर्म हरिकिशनदास लखमीदास से हसमुखभाई पारेख के करियर की शुरुआत हुई थी। हसमुखभाई पारेख ने देश के प्रतिष्ठित बैंक ICICI बैंक में भी नौकरी की थी। ICICI बैंक में उन्होंने डेप्यूटी जनरल मैनेजर से लेकर बैंक के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर के रुप में भी काम किया। बैंक से रिटायर होने के बाद में भी वह बोर्ड के चेयरमैन बने रहे। 66 साल की उम्र में जब हसमुख भाई रिटायर हुए तो उसके बाद उन्होंने भारत के हर नागरिक को घर दिलाने के सपने को पूरा करने की कोशिश की। उनका यह हमेशा से सपना था कि भारत के हर नागरिक के पास अपना घर हो।
पहली बार देश में मिली थी होम लोन की सुविधा
हसमुख भाई ने अपने रिटायरमेंट के बाद में भी एक भी छुट्टी नहीं ली और 66 साल की उम्र में उन्होंने 1977 में एचडीएफसी की शुरुआत की। बता दें HDFC देश की पहली ऐसी संस्था है जो पूरी तरह से हाउसिंग फाइनेंस पर ही काम करती है। 1978 में पहला गृह ऋण वितरित किया। 1984 तक, एचडीएफसी 100 करोड़ से अधिक के वार्षिक ऋण को मंजूरी दे रहा था। हसमुख भाई ने जो भी किया अपने देश के लोगों के लिए किया था और उन्हें उचित सम्मान भी मिला था।
बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर में दिए गए अमूल्य योगदान के लिए भारत सरकार ने साल 1992 में एचटी पारेख को पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया। वहीं 30 साल बाद एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक का एक में विलय हो गया, जिससे 4.14 लाख करोड़ रुपये की बड़ी इकाई बन गई।