25 की दुल्हन, 55 का दूल्हा, मां बाप ने खुशी-खुशी कर दी शादी, दूल्हे की हुई तारीफ, जाने वजह
हर माता पिता की इच्छा होती है कि उसकी जवान बेटी का घर बस जाए। उसे एक अच्छा जीवनसाथी मिल जाए। इसके लिए वह सबसे बेस्ट वर ढूंढने की कोशिश करते हैं। लेकिन क्या होगा जब मां बाप अपनी 25 साल की बेटी का हाथ 55 साल के बुजुर्ग के हाथ में दे दें? यकीनन ऐसा करना कोई भी मां बाप नहीं चाहेगा। लेकिन कभी-कभी कुछ मजबूरी ऐसी भी होती है जिसके चलते मां बाप को घुटने टेकने पड़ते हैं। अब इस भावुक कर देने वाले मामले को ही देख लीजिए।
25 की दुल्हन, 55 का दूल्हा
बीते दिनों दौसा जिले के लालसोट विधानसभा क्षेत्र के नापा का बास गांव में एक अनोखी शादी देखने को मिली। यहां दुल्हन विनीता 25 की थी तो दूल्हा बलराम उर्फ बल्लू 55 का था। इस शादी से विनीता के मां बाप एक तरफ तो ये सोचकर सुखी थे कि बेटी का घर बस गया, लेकिन दूसरी ओर उन्हें इस बात का गम भी था कि बेटी को 55 साल के बुजुर्ग संग ब्याहना पड़ा। लेकिन मां बाप की ऐसी भी क्या मजबूरी थी कि उन्होंने बेटी को उसकी उम्र से दोगुने से भी अधिक उम्र वाला दूल्हा लाकर दिया? चलिए जानते हैं।
दरअसल 25 वर्षीय विनीत एक दिव्यांग है। वह अपने दोनों पैरों से चल नहीं सकती है। उसके मां बाप की उम्र बढ़ती जा रही है। ऐसे में वह जल्द से जल्द विनीता के हाथ पीले करना चाहते थे, ताकि उनके जाने के बाद उनकी बेटी का कोई ध्यान रख सके। हालांकि विनीत की शादी के लिए कोई लड़का नहीं मिल रहा था। उसके दिव्यांग होने की वजह से कोई भी उसे पत्नी नहीं बनाना चाहता था। हाँ कुछ दूसरे दिव्यांग लड़कों के रिश्ते जरूर आए, लेकिन मां बाप ने सोचा एक दिव्यांग लड़का अपनी दिव्यांग पत्नी का ध्यान कैसे रखेगा।
इस मजबूरी के चलते किया विवाह
विनीता के मां बाप ने बेटी की शादी की उम्मीदें पूरी तरह छोड़ दी थी। लेकिन फिर उनके पास 55 साल के बुजुर्ग बलराम का शादी का प्रस्ताव आया। अब मां बाप सोच में पड़ गए। दूल्हा उम्र में बेटी से काफी बड़ा था, लेकिन कोई और मिल भी नहीं रहा था। ऐसे में उन्होंने निर्णय लिया कि वह बेटी की शादी इसी से कर देंगे। बस फिर क्या था दोनों की शादी फिक्स हो गई। तय तारीख पर बलराम बारात लेकर आ गया। फेरों के समय विनीता के भाई ने उसे गोद में उठा लिया। और फेरे दिलवा दिए।
शादी का कार्यक्रम अच्छे से हो गया। फिर विदाई की बारी आई। बेटी को ससुराल जाता देख जहां मां बाप खुश हुए तो वहीं उसे बूढ़ा पति मिलने पर उनकी आंखें भी नम दिखाई दी। कुछ लोगों ने दूल्हे बलराम की तारीफ भी की। उसने सामाजिक व्यवस्था को एक बड़ा संदेश देते हुए चलने में असमर्थ दिव्यांग विनीता को जीवनभर का सहारा दिया। लेकिन एक सवाल ये भी खड़ा हुआ था खुद बलराम उम्र के इस पड़ाव पर है कि उसे आगे चलकर खुद सहारे की जरूरत पड़ सकती है। ऐसे में वह विनीता का ख्याल कैसे रखेगा।
वैसे इस पूरे मामले पर आपकी क्या राय है? आपको ये शादी सही लगी या गलत?