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थाने में शिकायत दर्ज करने से मना कर रहा है पुलिस अधिकारी तो परेशान होने की बजाय करें ये काम

हर व्यक्ति के जीवन में कभी ना कभी ऐसा पल आता है, जब वह तमाम तरह की मुसीबतों से घिर जाता है। ऐसे में उसे समझ में नहीं आता है कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। कई बार उसे थानें के चक्कर भी लगाने पड़ते हैं। लेकिन वहाँ जानें पर उसकी शिकायत दर्ज नहीं की जाती है। इससे व्यक्ति और परेशान हो जाता है। पुलिस जनता की मदद के लिए होती है, लेकिन ज्यादातर पुलिस वाले मदद की जगह लोगों पर धौंस जमाते हैं।

गरीब व्यक्तियों को झेलना पड़ता है यह हमेशा:

अक्सर ऐसा कई लोगों के साथ होता है कि वह बड़ी उम्मीद के साथ थानें जाता है और उसकी शिकायत लिखने से माना कर दिया जाता है। इससे व्यक्ति और ज्यादा परेशान हो जाता है। कई बार ऐसा देखा गया है कि पुलिस वाले शिकायत दर्ज करने से माना कर देते हैं। गरीब व्यक्तियों को यह समस्या हमेशा झेलनी पड़ती है। अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ होता है तो आज हम उसके लिए कुछ उपाय बताने जा रहे हैं। जिससे आपका काम आसानी से हो जायेगा।

मजिस्ट्रेट पुलिस पर बनाएगा दबाव और देगा जाँच के आदेश:

जब आप पुलिस स्टेशन जाते हैं और पुलिस अधिकारी आपकी शिकायत दर्ज करने से माना कर देता है तो आप परेशान होने की बजाय अपने नजदीकी न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास जाएँ और एक लिखित शिकायत दर्ज करवायें। इसके बाद मजिस्ट्रेट पुलिस के ऊपर दबाव बनाएगा कि रिपोर्ट दर्ज करके जाँच की जाये। आप ई-फिलिंग का भी रास्ता अपना सकते हैं। वहाँ शिकायत दर्ज करवाने के बाद आपको एक रसीद भी मिलेगी।

अपराधों के प्रकार:

*- पुलिस अधिकारी उसी समय शिकायत दर्ज करता है, जब वह मामला उसके थानें के अंतर्गत आता हो, जब मामला किसी और थानें का होता है तो वह शिकायत दर्ज करने से माना कर देता है।

*- भारतीय कानून के अनुसार, अपराध को दो श्रेणियों में बांटा गया है। पहला संज्ञेय (Cognizable Offence) और दूसरा गैर-संज्ञेय (Non- Cognizable)। जब पुलिस को किसी भी संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) की शिकायत मिलती है तो वह FIR दर्ज कर लेती है। जबकि गैर-संज्ञेय (Non- Cognizable) मामले में शिकायत दर्ज कराने के लिए आपको जिला मजिस्ट्रेट का लिखित आदेश प्राप्त करना होता है।

*- बलात्कार, दंगा, लूट, डकैती, हत्या इत्यादि मामले संज्ञेय अपराधों की सूची में आते हैं, जबकि वहीँ जालसाजी, सार्वजनिक उपद्रव और धोखाधड़ीगैर-संज्ञेय अपराध कहलाते हैं। इन मामलों में पुलिस बिना वारंट के किसी को गिरफ्तार नहीं करती है। पहले कोर्ट वारंट जारी करता है फिर बाद में गिरफ्तारी होती है।

*- अगर कोई पुलिस अधिकारी धारा 154 (3) के तहत आने वाले संज्ञेय अपराध की शिकायत दर्ज करने से माना कर देता है, तो ऐसे में आप उस मामले की लिखित शिकायत पुलिस अधीक्षक को को दे सकते हैं। वरिष्ठ अधिकारी उसे ध्यान से देखने के बाद अगर इस बात से सहमत होता है कि ये एक संज्ञेय अपराध है, तो वो केस अपने हाथ में ले सकता है। खुद केस अपने हाथ में ना ले पानें की स्थिति में वह किसी भी अधिकारी को जाँच के आदेश दे सकता है।

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