महाराष्ट्र की राजनीति में फिर होगी उथल पुथल, 30 विधायकों संग भाजपा का दामन थाम सकते हैं अजीत पवार
राजनीति एक ऐसी चीज है जहां लोग सत्ता में आने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। ऐसे में नेताओं का समय और स्थिति के अनुसार बार–बार पार्टी बदलना बड़ा ही कॉमन है। और जब ऐसे सियासी परिवर्तन होते हैं तो राजनीति की दुनिया में हलचल मच जाती है। महाराष्ट्र में भी जल्द कुछ ऐसी ही हलचल दिखाई दे सकती है।
भाजपा का दामन थाम सकते हैं अजीत पवार
खबरों की माने तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एनसीपी के नेता अजीत पवार जल्द भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इतना ही नहीं वह अपने साथ पार्टी के लगभग 30 विधायकों को भी भाजपा के गुट में ला सकते हैं। वैसे यदि ऐसा होता भी है तो इसमें कोई हैरानी वाली बात नहीं होगी। यदि आपने गौर किया हो तो अजीत पवार पिछले कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते नजर आए थे। यहां तक कि उन्होंने 2014 की भाजपा की जीत को मोदी का जादू करार दिया था।
बीच में ये भी खबर आई थी कि कुछ समय के लिए अजीत पवार आउट ऑफ़ रीच भी ही गए थे। यह चीजें इस बात की ओर इशारा कर रही है कि अजित पवार जल्द भाजपा की कश्ती में सवार हो सकते हैं। गुप्त सूत्रों की माने तो विधानसभा में विपक्ष के नेता और चार बार के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार महाराष्ट्र की सत्ताधारी सरकार भाजपा का दामन थामने के लिए एमवीए गठबंधन से तोड़ सकते हैं।
अपने साथ 34 विधायकों को भी लाएंगे भाजपा में
कुछ सूत्रों ने ये तक दावा किया कि अजीत के साथ एनसीपी के 53 में से लगभग 34 विधायक भाजपा से हाथ मिला सकते हैं। यह सभी शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल होने के लिए अजीत पवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने को रेडी हैं। लेकिन अजित पवार ने इन खबरों का भी खंडन किया कि उन्होंने मंगलवार को विधायकों की बैठक बुलाई थी।
अजीत पवार की भाजपा ज्वाइन करने वाली विधायकों की टीम में प्रफुल्ल पटेल, सुनील तटकरे, छगन भुजबल और धनंजय मुंडे जैसे नेता शामिल हैं। वहीं राज्य एनसीपी अध्यक्ष जयंत पाटिल और पार्टी नेता जितेंद्र अवध भाजपा में शामिल होने के खिलाफ हैं। इन्हीं खिलाफ नेताओं में से कुछ में एनसीपी प्रमुख शरद पवार को अजीत के इन इरादों के बारे में कथित रूप से बता दिया है। बताते चलें कि खुद शरद ने पवार पहले भाजपा से गठबंधन करने से मना कर दिया था।
अब देखना ये होगा कि आने वाले समय में एनसीपी को कितना बड़ा खटका लगता है। क्योंकि अजीत पवार काफी पावरफुल नेता हैं। उनका पार्टी छोड़ जाना एनसीपी को बहुत अखरेगा। इससे उनकी सत्ता में पकड़ और भी कमजोर हो जाएगी।