अच्छी मां नहीं बनने का आज भी है अफसोस, स्तनपान नहीं करवा पाई तो लोग मारते थे ताने – रूपाली गांगुली
मां बनने का सुख हर महिला के लिए खास होता है। जब वह पहली बार अपने बच्चे को सीने से लगाती है तो ऐसा लगता है मानो दुनिया की सारी खुशियां उसे मिल गई हो। बच्चा पैदा होने के 6 महीने तक उसे स्तनपान कराने की सलाह दी जाती है। इससे बच्चा हेल्थी होता है। लेकिन कुछ महिलाओं को हेल्थ प्रॉबल्स के चलते दूध नहीं आता है। ऐसे में वह बहुत टेंशन में आ जाती है। ऊपर से परिवार और समाज के लोग उनके ऊपर अलग प्रेशर डालते हैं। ऐसा ही कुछ ‘अनुपमा’ फ़ेम रुपाली गांगुली के साथ भी हुआ।
मां बनने में आई कई दिक्कतें
रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly) टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) से घर-घर फेमस हो गई हैं। उनका शो दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय है। इन दिनों रूपाली अपने बेटे रुद्रांस वर्मा के जन्म और स्तनपान की बातों को लेकर सुर्खियों में छाई हुई है। रूपाली ने उन दिनों को याद करते हुए बताया कि कैसे वह अपने बेटे के पैदा होने पर उसे ब्रेस्ट फीडिंग नहीं करा पाई। इससे उन्हें बार-बार एक असफल मां होने का एहसास हुआ।
रुपाली गांगुली ने साल 2013 में बिजनेस मैन अश्विन वर्मा से शादी की थी। फिर साल 2015 में उन्होंने बेटे रुद्रांस को जन्म दिया। रूपाली बताती हैं कि गर्भावस्था का समय उनके लिए काफी मुश्किलभरा रहा। इस दौरान उन्हें थाइरॉइड होने के चलते काफी दिक्कतें आ रही थी। ऐसे में तब उनका एक मात्र लक्ष्य मां बनना हुआ करता था।
स्तनपान नहीं करवा पाई तो मिले ताने
फिर जब बेटा पैदा हुआ तो उन्हें दूध नहीं आया। हर मां के लिए बच्चे को स्तनपान कराने का पल बेहद खास होता है। रूपाली जब ऐसा नहीं करा पाई तो बड़ी उदास हुई। ऊपर से लोगों ने उन्हें कई ताने मारकर और डिप्रेशन में पहुंचा दिया। उन्हें आज तक इस बात का अफसोस होता है कि वह एक सफल मां नहीं बन पाई।
दूध लाने के लिए लोगों ने रूपाली को खूब खाने पीने की सलाह दी। लेकिन इससे उनका वजन बहुत बढ़ गया। वह पहले 58 किलो की थी। लेकिन बेटे के जन्म के बाद 86 किलो की हो गई। वह जब बच्चे को लेकर बाहर निकलती थी तो कई महिलाएं उन्हें मोटी और आंटी कहकर ताने मारती थी। बढ़े वजन के चलते उन्हें कई शारीरिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ा।
लोग करते थे जज
रूपाली बताई हैं कि आपको एक मां को जज नहीं करना चाहिए। आप नहीं जानते कि वह किन-किन परिस्थितियों से होकर गुजरी है। समाज के लोग उनकी कमियां निकालते हुए और ताने मारते हुए ऐसे हालत बना देते हैं कि खुद मां भी खुद को जज करने लगती है। उसे लगता है कि स्तनपान न करवाने की वजह से वह असफल मां है। खुद रूपाली भी खुद को जज करने लगी थी।
कुल मिलाकर देखा जाए तो हमे कभी न्यूली मां बनी महिला को जज नहीं करना चाहिए। उसे ताने नहीं मारने चाहिए। कोई प्रेशर नहीं डालना चाहिए। यदि उसमें कुछ कमियां है तो इसका एहसास नहीं करवाना चाहिए। बल्कि मेंटली सपोर्ट करना चाहिए।