महाभारत में थे आपत्तिजनक डायलॉग, सरकार के दखल से हटाए थे
देश में इन दिनो अभिव्यक्ति की आजादी की चर्चा ज्यादा जोर पकड़ रही है। सरकार पर विपक्ष लगातार लोगों की आवाज दबाने का आरोप लगाती है। वहीं बॉलीवुड में सेंसर बोर्ड इस मामले में एक कदम और आगे बढ़ते हुए, फिल्मों में कैंची चलाने के लिए कुख्यात हो गया है। हाल में ही आई फिल्म लिपस्टिक अंडर माई बुर्का जैसी फिल्मों को लेकर जा बवाल मचा उसके बाद तो सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष को पद से ही हटा दिया गया, लेकिन क्या आपको पता है कि इमरजेंसी के दौरान ही नहीं ऐसी सेंसरशिप महाभारत जैसे सीरियल को भी झेलनी पड़ी थी।
राजीव गांधी के कार्यकाल में चली थी कैंची
बात उस दौर की है जब करीब आजादी के चालिस बीत चुके थे और इंदिरा गांधी के मारे जाने के बाद राजीव गांधी ने सत्ता संभाली थी। बात 1988 की है जब सरकारी चैनल यानी दूरदर्शन पर महाभारत की सीरीज शुरु होने वाली थी। इसी दौरान पहला एपिसोड शूट हो चुका था। जल्द ही उसका प्रसारण भी होने वाला था। उस दौरान महाभारत के पहले ही एपिसोड में दो कट लगाए गए थे। फिल्म जगत के जानकारों की माने तो ये कट उस दौरान की सरकार के इशारे पर लगावाए गए थे।
सरकार की कैंची के नीचे आए महाभारत के इस एपिसोड में राजनीतिक को लेकर कटाक्ष किया गया था. बताते हैं कि इस काट छांट के चलते एपिसोड खराब हो गया था। शूटिंग से जुडे लोगों का कहना था की एपिसोड का जब प्रसारण किया गया तो कुछ सीन कटे हुए थे। जबकि उनको शूट किया गया था। दरअसल सीन राजा भरत और उनकी पत्नी शकुंतला के बीच हुए वार्तालाप का सीन था। जिसमें राजमाता शकुंतला के सीन के बाद जिसतरह से राजा भरत और फिर सीधे शांतनु के सीन दिखाए गए उससे साफ पता चलता है कि बीच के सीन काटे गए हैं.
क्या दिखाया जाना था एपिसोड में
सीन में दिखाया जाना था की राजा भरत अपने बेटों को सिंहासन न सौंपकर योग्य व्यक्ति को शासन सौंपने की बात कर रहे हैं. सीन मे राजा भरत का संवाद था की, ‘ राजा का कर्तव्य है कि वो राज्य के हितों की रक्षा करें है न की बेटों के हितों की’ इसके साथ ही एक और संवाद था, ‘सत्ता का अधिकार जन्म से नहीं कर्म से मिलता है’ इन दो डायलॉग से सरकार को भय था की कहीं लोग परिवारवाद और वंशवाद को लेकर नाराज न हो जाएं, साथ ही राजनीतिक अवधारणा बदलने का भी डर था। जो कि तात्कालीन सरकारों को कतई मंजूर नही था।
बताया जाता है कुछ ही दिनों में देश में आम चुनाव थे, जिसके लिए सरकार दूरदर्शन में पूरा कंट्रोल चाहती थी। उस वक्त के मौजूदा दूरदर्शन डायरेक्टर भास्कर घोष ने अपनी किताब ‘दूरदर्शन डेज’ में खुलासा करते हुए ये बातें लिखी है। जिनको कुछ ही दिनों में सरकार ने हटा दिया था।