मुस्लिम डॉ ने पर्चे में Rx की जगह लिखा ‘श्रीहरि’, हिंदी में लिखे दवाइयां, हर तरफ हो रही चर्चा
सागर (मध्यप्रदेश) : हाल ही में मध्यप्रदेश हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू करने वाला देश का पहला राज्य बना था. मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार ने हाल ही में यह बड़ा फैसला लिया था. इसके बाद से प्रदेश में इसे लेकर कई तरह के रोचक मामले सामने आ रहे हैं.
मध्यप्रदेश में हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू होने के बाद अब प्रदेश के कई डॉक्टर्स ने भी अंग्रेजी भाषा में मरीजों का पर्चा लिखने के बजाय हिंदी में उसे लिखना शुरू कर दिया है. हाल ही में एक इसी तरह का मामला मध्यप्रदेश के सागर जिले से सामने आया है. जहां एक मुस्लिम डॉक्टर ने अपने पर्चे में हिंदी में ‘श्रीहरि’ लिखा है. इसकी काफी चर्चा हो रही है.
एक मुस्लिम डॉक्टर का पर्चा काफी वायरल हो रहा है. जिसमें उसने दवाईयों के नाम हिंदी में लिखे है. वहीं उसके ऊपर शुरुआत में ‘श्रीहरि’ लिखा है. जबकि पहले अंग्रेजी में पर्चे की शुरुआत में ‘आरएक्स’ लिखा होता था. वहीं अब ‘आरएक्स’ के स्थान पर ‘श्रीहरि’ लिखा हुआ है.
बता दें कि जब मध्यप्रदेश में हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू हुई तब उस प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने डॉक्टरों को हिंदी में मरीजों का पर्चा बनाने और उसमें ‘आरएक्स’ की जगह ‘श्रीहरि’ लिखने की बात कही थी. वहीं अब सीएम की अपील रंग लाती हुई नजर आ रही है.
सागर के डॉक्टर औसफ अली ने किया शिवराज की अपील का पालन…
सागर के इस मुस्लिम डॉक्टर का नाम है औसफ अली. औसफ अली सागर में बस स्टैंड के पास दांतों का निजी अस्पताल चलाते हैं. उन्होंने हाल ही में प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई अपील का पालन किया और समाज में एक मिसाल कायम कर दी.
सबसे अधिक ध्यान देने योग्य जो बात है वो यह है कि मुस्लिम होते हुए डॉक्टर औसफ अली ने अपने मरीज के पर्चे में ‘श्रीहरि’ लिखा है. यह सिलसिला अब भी जारी है. इसे लेकर औसफ को कोई आपत्ति भी नहीं है. आप पर्चे में देख सकते है कि सबसे ऊपर ‘श्रीहरि’ लिखा हुआ है. इसके बाद मरीज की बीमारी, लक्षण और फिर दवाएं लिखी हुई है.
डा. औसफ अली ने कही यह बात…
हिंदी में पर्चा लिखने वाले डॉक्टर औसफ ने इस मामले पर दिल जीतने वाली बात कही है. इस मामले पर अपनी राय रखते हुए उन्होंने कहा है कि, मरीज अपनी बीमारी और पर्चे को आसानी से समझ पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि जब हम दैनिक बोलचाल में हिंदी का उपयोग करते है और मरीज से भी हिंदी में ही बात होती है तो फिर इसे कोई आपत्ति नहीं है.