आखिर क्यों प्रेग्नेंट ईशा देओल ने रचाई दुबारा शादी, 7 की जगह लिए 3 फेरे: वजह कर देगी हैरान
मुंबई: हमारे समाज में शादी का बहुत बड़ा महत्व है। यहाँ शादी को एक संस्कार के रूप में मनाया जाता है। जैसे जीवन में अन्य चीजें जरुरी होती हैं, वैसे ही जीवन में शादी का भी अपना महत्व है। इसके बाद क़ानूनी रूप से वंशवृद्धि की अनुमति मिल जाती है। भारतीय समाज में समय-समय पर अलग-अलग तरह से शादियाँ होती आयी हैं। प्राचीनकाल में हिन्दू धर्म में ही शादियाँ दुसरे तरीके से होती थी और आज दुसरे तरीके से हो रही हैं।
प्रेंग्नेट होने के बाद की दुबारा शादी:
भारत एक विविधता भरा देश है। यहाँ कई धर्मों के लोग साथ मिलकर रहते हैं। सभी धर्म के अपने नियम-कानून है। सभी धर्मों में शादियाँ होती हैं, लेकिन उनके तरीके अलग-अलग होते हैं। जैसे हिन्दुओं में सात फेरे लिए जाते हैं, वही मुस्लिमों में निकाह कबूल करवाया जाता है। यहाँ शादी से पहले बच्चा पैदा करने को समाज स्वीकार नहीं करता है। लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि ईशा देओल प्रेग्नेंट होने के बाद दुबारा शादी कर रही हैं।
शादी में 7 फेरों की जगह लिए केवल 3 फेरे:
जी हाँ आप सही सुन रहे हैं, ईशा देओल ने प्रेग्नेंट होने के बावजूद दुबारा शादी रचाई है। धर्मेन्द्र और ड्रीम गर्ल की लाड़ली बेटी ईशा देओल ने आखिर क्यों दुबारा शादी रचाई है, वजह जानकर आप यक़ीनन हैरान हो जायेंगे। दरअसल ईशा ने अपने पति भरत तख्तानी के साथ इस्कॉन मंदिर में दुबारा शादी रचाया। भरत सिन्धी समाज से ताल्लुक रखते हैं, इसलिए शादी सिन्धी परम्परा से हुई और शादी में 7 फेरों की जगह केवल 3 फेरे ही लिए गए।
शादी में ईशा देओल लग रही थी बहुत खुबसूरत:
इस अजीबो-गरीब शादी में ईशा पारम्परिक परिधान में बहुत ही खुबसूरत लग रही थीं। उन्होंने नीता लुल्ला का डिज़ाइन किया हुआ लहँगा पहना हुआ था। शादी में उनकी माँ हेमा मालिनी भी कम खुबसूरत नहीं लग रही थीं। उन्होंने साड़ी पहनकर अपने जलवे बिखेरे। माँ और बेटी दोनों की ज्वेलरी भी काफी खुबसूरत थी। लेकिन आप लोग अभी तक समझ नहीं पाए होंगे कि आखिर ईशा ने दुबारा शादी क्यों रचाई।
पहली शादी में माँ ने बुलाये थे तमिल पंडित:
हुआ ये कि इस जोड़े ने दुबारा शादी इसलिए रचाई क्योंकि ईशा देओल चाहती थीं कि वो अपनी गोदभराई पर भरत से दुबारा शादी रचाएं। पहली बार जब ईशा की हुई थी तो शादी में हेमा मालिनी ने तमिल पंडित बुलाये हुए थे। तमिल पंडित तमिल में मन्त्र बोल रहे थे, जो ईशा के सुसराल वालों को समझ नहीं आए थे। इसलिए इस बार शादी सिन्धी रीति-रिवाज से की गयी, जिसमें हिंदी से सारी रश्मे अदा की गयी।