आज है गुग्गा नवमी, आज के दिन जानिए गुग्गा जाहिर वीर के चमत्कारों के बारे में
आज के दिन गुग्गा नवमी पर्व पड़ रहा है। आपको बता दें पंजाब के नकोदर और हिमांचल के बिलासपुर जिले में गुग्गा जाहिर पीर पर्व मेले के रूप में मनाया जाता है। जो भगवान ने लिख दिया है, उसे कोई मिटा नहीं सकता है। एक बार की बात है माता बाछल की लाख मन्नतों के बाद भी गुग्गावीर ने उनकी एक बात भी नहीं सुनी और देखते ही देखते धरती में समा गए। जहाँ वह धरती में समाये थे, वहाँ उनकी ध्वजा और भाला धरती के बाहर ही दिख रहा था।
धरती फटी और गुग्गा जी की पत्नी भी समा गयी:
ऐसा कहा जाता है कि ददरेडा नगरी में रामा नाम के एक ग्वाले ने गुग्गा जी की सबसे प्यारी गाय सुरा को दूध पिलाते देखा था। ग्वाले ने यह बात झट से गुग्गा जी की पत्नी को बताई। इसके बाद उनकी पत्नी वहाँ जाकर हर रोज रोना-पीटना शुरू कर देती। गुग्गा जी की पत्नी श्रीयल के हर रोज यह करने से वहाँ की धरती फटी और वह भी उसी में समा गयी। यह स्थान आज भी श्रीयल जाल के नाम से मशहूर है।
साँपों का 100 मन पिया था जहर:
प्रदेश के अन्दर गुग्गा पूजन को एक ख़ास महत्व दिया जाता है। उनके बारे में यह भी कहा जाता है कि उन्होंने एक बार सर्पों और नागों का 100 मन जहर पिया था, जिसके बाद उन्हें जाहरवीर भी कहा जाने लगा। उस समय भी पुरे भारत के लोग गुग्गा राणा की पूजा भगवान की तरह करते थे। प्राचीनकाल से चली आ रही यह परम्परा आज भी निभाई जा रही है। केवल हिन्दू, सिख ही नहीं मुसलमान भी उनके चमत्कारों की गाथा सुनकर उस्न्की पूजा पैगम्बर की तरह करते हैं। गुग्गा जी की मैडी से एक बहुत ही रोचक घटना जुडी हुई है।
बहुत पहले की बात है दिल्ली का बादशाह नैशेबरा बगावत दबाने के कारण गुग्गा मैडी के रास्ते अपनी फ़ौज लेकर जा रहा था। राते में गुग्गा जी को देखकर वह उनसे विनती करने लगा और कहा कि अगर वह बगावत दबाने में कामयाब रहा तो उनके आराम के लिए एक पक्की दरगाह का निर्माण करवाएगा। गुग्गा जी के आशीर्वाद से वह कामयाब हो गया, लेकिन कामयाबी मिलने के बाद वह भूल गया। जैसे ही उसकी फ़ौज मैडी से आगे बढ़ने लगी रास्ते में भयानक और बड़े-बड़े साँपों को देखकर वह घबरा गया।
यहाँ सर झुकाने वाले को नहीं काटता जीवनभर साँप:
यह देखकर उसनें अपनी पलटन को तुरंत हुक्म दिया कि जहारवीर महाराज गुग्गा जी के लिए तुरंत ही दरगाह का निर्माण करना होगा। ऐसा कहा जाता है कि भादरा से मैडी तक पलटन को एक लाइन में खड़ा करवा दिया गया। जैसे ही गुग्गा मैडी भवन तैयार हुआ सभी साँप धरती में समा गए। दूर-दूर के लोग इस रास्ते से गुजरते वक़्त इस मैडी में अपना माथा टेक कर ही जाते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि जो भी यहाँ एक बार सर झुका लेता है, उसे जीवन में कभी भी साँप नहीं काटता है। गुग्गावीर की नाग देवता के रूप में भी आराधना की जाती है।