स्वतंत्रता दिवस विशेष: 14 अगस्त की रात ने बदल दिया था हिंदुस्तान का नक्शा
नई दिल्ली: सदियों पहले भारत एक बहुत ही प्रभावशाली देश था। भारत का क्षेत्र इतना बड़ा था कि आज आप सोच भी नहीं सकते। भारत के लगातार बढ़ते हुए प्रभाव की वजह से ही कई विदेशी ताकतों ने भारत पर आक्रमण किया लेकिन नाकाम हुए। उस समय भारत में एकता थी। जैसे ही यहाँ के राजा-महाराजाओं में फूट पड़ी मुगलों ने आक्रमण करके भारत को अपना गुलाम बना लिया। india and pakistan partition.
मुस्लिम धर्म अपनाने पर किया मजबूर:
मुगलों ने भारत पर कई सौ वर्षों तक राज किया। मुगलों के आने के बाद भारत की दशा-दिशा ही बदल गयी। उन्होंने अपने अनुसार भारत में अनेकों बदलाव किये। मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनायी। जबरदस्ती लोगों को मुस्लिम धर्म अपनाने पर मजबूर किया। लोगों को जमकर प्रताड़ित किया। मुगलों के बाद इस देश पर कई अन्य विदेशियों ने भी आक्रमण किया और राज किया। मुगलों के बाद सबसे लम्बे समय तक यहाँ अंग्रेजों ने राज किया।
चुकानी पड़ी आजादी की बहुत बड़ी कीमत:
अंग्रेजों के आने के बाद भारत ने जो गुलामी के दिन देखे उसके बारे में सोचकर भी डर लगता है। 1857 को भारत में क्रांति का बिगुल बजा, लेकिन उसमें सफलता नहीं मिली। इसके बाद भारत में गाँधी जी आये और उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। आख़िरकार भारत को 15 अगस्त 1947 को आजादी मिल गयी। लेकिन इस आजादी की कीमत बहुत बड़ी थी। आजादी मिलने से एक रात पहले 14 अगस्त को जो भारत की धरती पर हुआ, उसका दंश आजतक लोग झेल रहे हैं।
बंटवारे के समय 10 लाख लोगों ने गँवाई अपनी जान:
15 अगस्त को हम अंग्रेजों की 250 साल की गुलामी से आजाद तो हो गए, लेकिन जाते-जाते अंग्रेजों ने भारत को दो हिस्सों में बाँट दिया। 14 अगस्त की रात को भारत के दो हिस्से हो गए। इस बंटवारे की वजह से लाखों लोग बेघर हो गए। एक तरफ भारत बना और दूसरी तरफ पाकिस्तान बना। बंटवारे के समय दोनों तरफ भयानक हिंसा हुई। जिनके साथ लोग हर शाम उठते-बैठते थे वही उस समय जानी दुश्मन बन गए थे। उस हिंसा में लगभग 10 लाख लोगों ने अपनी जान गँवाई थी।
सरहद के दोनों तरफ से लगभग 1 करोड़ लोग भारत और पाकिस्तान चले आये थे। उस समय यह दुनिया का सबसे बड़ा विस्थापन था। लोगों का कहना है कि अंग्रेजों ने बंटवारे की प्रक्रिया को सही से नहीं निभाया था। देश में शांति व्यवस्था बनाये रखने की जिम्मेदरी भारत और पाकिस्तान की नई सरकार के कन्धों पर थी। लेकिन दोनों ही देश इसमें नाकाम हुए। उस समय कुछ लोग धर्म के आधार पर विभाजन के खिलाफ थे जबकि कुछ लोग इसके पक्ष में थे। उनका मानना था कि जब धर्म के आधार पर विभाजन हो रहा है तो जनता की अदला-बदली भी होनी चाहिए, ताकि बाद में कोई परेशानी ना हो।