नूपुर पर SC की फ़ालतू टिप्पणी से भड़के 117 रिटायर्ड जज-नौकरशाह-सैन्य अधिकारी, CJI को लिखा यह खत
नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद विवाद पर किए गए विवादित कमेंट के मामले में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर को फटकार लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट के जजों ने इस मामले में नूपुर को लताड़ते हुए कहा था कि नूपुर के बयान ने माहौल खराब किया है. साथ ही नूपुर को उदयपुर हत्याकांड का जिम्मेदार ठहराया था. इसके साथ ही नूपुर के मोहम्मद पर दिए गए बयान के बाद देर से माफी मांगने पर भी सर्वोच्च न्यायालय ने आपत्ति जताई.
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि नूपुर ने इस मामले में माफी मांगने में देर कर दी. साथ ही कहा कि नूपुर शर्मा को अब देश से टीवी पर आकर माफी मांगनी चाहिए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट और जजों की टिप्पणी के बाद उन्हें लोगों ने जमकर आड़े हाथों लिया और लोग सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बड़ी संख्या में नूपुर के समर्थन में उतर आए.
देशभर में लोग नूपुर पर की गई टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट से खफा है. बता दें कि इस मामले में नूपुर पर टिप्पणी जस्टिस सूर्यकान्त और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने की थी. उनकी विवादित टिप्पणी से देशभर में सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ नाराजगी है. अब इसे लेकर 15 सेवानिवृत्त जजों, 77 रिटायर्ड नौकरशाहों और 25 पूर्व सैन्य अधिकारियों ने एक खुला पत्र लिखते नूपुर का समर्थन किया है और सुप्रीम कोर्ट एवं इन दोनों जजों को जमकर लताड़ लगा दी है.
सभी ने सुप्रीम कोर्ट के दोनों जजों की टिप्पणी को ‘दुर्भाग्यपूर्ण और गलत उदाहरण पेश करने वाला’ है. 15 सेवानिवृत्त जजों, 77 रिटायर्ड नौकरशाहों और 25 पूर्व सैन्य अधिकारियों ने एक खुले पत्र में लिखा है कि, ”जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला द्वारा की गई टिप्पणियाँ, जो कि जजमेंट का हिस्सा नहीं हैं – किसी भी तरह से न्यायिक उपयुक्तता और निष्पक्षता के दायरे में नहीं आती. ऐसे अपमानजनक तरीके से कानून का उल्लंघन न्यायपालिका के इतिहास में आज तक नहीं हुआ. इन बयानों या याचिका से कोई लेनादेना नहीं था. नूपुर शर्मा को न्यायपालिका तक पहुँच से मना कर दिया गया और ये संविधान की भावना के साथ-साथ प्रस्तावना का भी उल्लंघन है”.
पत्र में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को ‘लक्ष्मण रेखा’ का उल्लंघन भी बताया गया. सभी की ओर से यह भी लिखा गया कि सुप्रीम कोर्ट की नूपुर पर इस तरह की टिप्पणी के बाद हमे मजबूरी में यह पत्र लिखना पड़ा है. आगे पत्र में लिखा कि, जजों का ये बयान कि, ‘देश में जो कुछ भी हो रहा है, उसके लिए सिर्फ और सिर्फ नूपुर शर्मा जिम्मेदार हैं’ इसका कोई औचित्य नहीं बनता.
In an open letter, #retiredjudges #bureaucrats #armyofficers condemn the observations made by the #SupremeCourtOfIndia in the #NupurSharama case. https://t.co/c8ZFICxMq4 pic.twitter.com/LTC1QgvFke
— Satya Tiwari (@SatyatTiwari) July 5, 2022
पत्र में आगे लिखा कि, ”विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की न्यायपालिका के इतिहास पर यर टिप्पणियाँ धब्बे की तरह हैं. इस पर आपत्ति जताई गई है कि याचिकाकर्ता को बिना किसी सुनवाई के दोषी ठहरा दिया गया और न्याय देने से इनकार कर दिया गया, जो किसी लोकतांत्रिक समाज की प्रक्रिया नहीं हो सकती. साथ ही याद दिलाया गया है कि एक ही अपराध के लिए कई सज़ा का प्रावधान नहीं है, इसीलिए नूपुर शर्मा FIRs को ट्रांसफर कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुँची थीं”.