ओह्ह तो इस वजह से नोटबंदी के समय बाजार में आये थे 500 के नोट देरी से, जानिये वजह
नई दिल्ली: पिछले साल देश के प्रधानमंत्री मोदी ने एक ऐसा बड़ा फैसला लिया था, जिससे देश के आधे लोग खुश थे और आधे लोगों को उनके फैसले से तकलीफ थी। जी हाँ आप सही समझे, हम बात कर रहे हैं पिछले साल 8 नवम्बर को हुई नोटबंदी की। नोटबंदी का फैसला देश में बढ़ रहे काले धन की समस्या से निजात पाने के लिए उठाया गया था। देश के एक बड़े वर्ग ने पीएम मोदी के फैसले का स्वागत किया था।
काफी समय लग गया था 500 के नए नोट आने में:
8 नवम्बर को हुई नोटबंदी के 2 दिन बाद ही बाजार में 2000 के नए नोट बड़ी संख्या में आ गए थे, जबकि 500 के नए नोटों को आने में काफी समय लग गया। इस वजह से देश के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। क्या आपने इस बारे में कभी बैठकर आराम से विचार किया कि ऐसा क्यों हुआ था? अगर नहीं तो आज हम आपको बताते हैं कि ऐसा क्यों हुआ था। एक शीर्ष अधिकारी ने इसका जवाब दे दिया है।
आरबीआई के पास हैं दो प्रिंटिंग प्रेस:
जिस समय नोटबंदी की घोषणा हुई थी, उस समय भारतीय रिज़र्व बैंक के पास 2000 के नए नोटों का 4.95 लाख करोड़ स्टॉक था, लेकिन हैरानी की बात यह थी कि उस समय उनके पास 500 के एक भी नोट नहीं थे। 500 के नए नोट के बारे में उस समय तक सोचा ही नहीं गया था। पुरे देश में नोट छापने के लिए 4 प्रिंटिंग प्रेस हैं, जिनमें से दो रिज़र्व बैंक की है। रिज़र्व बैंक की ये प्रेस मैसूर (कर्नाटक) और सालबोनी (पक्षिम बंगाल) में है। इसके अलावा दो प्रिंटिंग प्रेस भारतीय प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण निगम लि. (एस.पी.एम.सी.आई.एल.) के पास हैं। जो नासिक और देवास में स्थित हैं।
देश में बने कागज का किया गया था इस्तेमाल:
पहली बार ऐसा हुआ था कि देश में बने कागज का इस्तेमाल 500 के नोट को छापने के लिए किया गया था। यह कागज होशंगाबाद और मैसूर की पेपर मिल में बनाया गया था। इस मिल की क्षमता 12000 मीट्रिक टन सालाना की है, जो पर्याप्त नहीं है, अब भी इसके लिए आयात की जरुरत पड़ती है। नासिक और देवास के प्रेस की नोट छापने की संयुक्त क्षमता 7.2 अरब नोट सालाना है, जबकि आरबीआई के दोनों प्रेसों की संयुक्त क्षमता 16 अरब नोट सालाना छापने की है।
एस.पी.एम.सी.आई.एल हमेशा उतने ही नोट छापता है, जीतने नोटों के छापने का ऑर्डर आरबीआई देती है। लेकिन इस बार उसनें बिना आरबीआई के ऑर्डर के ही नोटों की छपाई शुरू कर दी थी। 500 का नोट कैसा होगा, नोटबंदी से पहले इसकी डिज़ाइन केवल मैसूर वाले प्रिंटिंग प्रेस के पास थी। देवास प्रेस में नवम्बर के दूसरे और नासिक प्रेस में चौथे हप्ते में छपाई शुरू कर दी गयी थी। आरबीआई के प्रेस में इसकी छपाई पहले से ही की जा रही थी, लेकिन बढ़ी हुई माँग को पूरा कर पाने में वह सक्षम नहीं था।