Birthday Special: फिल्मों की खलनायिका ‘मोना डार्लिंग’, जिनको देख सच में डरकर भाग जाते थे बच्चे
हिन्दी फिल्मों में एक से बढ़कर एक बेजोड़ कलाकार हुए हैं। कुछ कलाकार तो ऐसे हैं जो फिल्मों में हीरो न होते हुए भी हीरो पर भारी पड़ते रहे। हम आज अभिनेत्रियों की बात कर रहे हैं। ऐसे में आपको फिल्मों की ‘मोना डार्लिंग’ के बारे में रोचक जानकारियां देते हैं। उनका नाम बिंदु था और वो फिल्मों में हीरोइनों पर भारी पड़ती थीं।
खलनायिका के रोल में बिंदु की अदाकारी ऐसी थी कि असल जिन्दगी में भी बच्चे उनसे डरकर भाग जाते थे। वो फिल्मों में अपनी एक्टिंग से हीरोइन की पूछ तक कम कर देती थीं। 17 अप्रैल को उनका जन्मदिन है। ऐसे में उनसे जुड़ी बातें हम आपको बताते हैं। उनके रोचक फिल्मी सफर की भी आपको जानकारी देते हैं।
गुजरात में हुआ था बिंदु का जन्म
बॉलीवुड में मोना डार्लिंग के नाम से फेमस बिंदु का आज यानि 17 अप्रैल को जन्मदिन है। वो 1941 को इसी दिन गुजरात में पैदा हुई थीं। उन्होंने फिल्मों में खलनायिका के रोल से जो प्रसिद्धि हासिल की, वो कम ही अदाकाराओं को मिल पाती है। बिन्दु भले ही निगेटिव रोल करती थीं लेकिन हीरोइन से ज्यादा उनको भाव मिलते थे।
अगर आपको 70 और 80 के दशक की फिल्में देखनी पसंद हैं तो उस दौरान बिंदु का जलवा देखने को मिलता है। इस दशक की फिल्मों में बिंदु छाये रहती थीं। जंजीर मूवी में उन्होंने मोना नामक युवती का रोल किया था। विलेन अजीत उनको मोना डार्लिंग कहकर बुलाते थे। बस फिर उनका नाम ही मोना डार्लिंग हो गया।
13 साल में शुरू कर दिया था काम
बिंदु पर घर की जिम्मेदारी बहुत छोटी उम्र में आ गई थी। उनके पिता प्रोड्यूसर नाना भाई थे। जबकि मां थियेटर में काम करती थीं। उनका नाम ज्योत्सना था। पिता बिंदु को डॉक्टर बनाना चाहते थे लेकिन बिंदु के 13 साल की उम्र में ही उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद घर की जिम्मेदारी बिंदु पर आ गई थी।
बिंदु डॉक्टर नहीं बनना चाहती थीं। उनको तो ग्लैमर की दुनिया अपनी ओर खींचा करती थी। इसी वजह से वो फिल्मी दुनिया से जुड़ना चाहती थीं। बहुत कम उम्र में ही उनकी शादी तो हो गई लेकिन उन्होंने शादी के बाद भी मॉडलिंग करना शुरू कर दिया। शादी के ही बिंदु ने फिल्मी करियर शुरू किया और उनको नई पहचान मिली।
थियेटर से बिंदु को देखकर भाग गए थे बच्चे
शादी को एक साल ही हुए थे कि बिंदु को 1969 में ‘दो रास्ते’ फिल्म मिल गई। इसमें उनके साथ राजेश खन्ना था। इसके बाद बिंदु ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनकी इत्तेफाक, आया सावन झूम के, डोली और कटी पतंग जैसी फिल्मों ने उनको अलग पहचान दिला दी। उनका ‘मेरा नाम है शबनम और प्यार से लोग मुझे शब्बो कहकर बुलाते हैं’, डायलॉग भी मशहूर हो गया।
कम ही लोग जानते होंगे कि बिंदु का खलनायिका के रूप में रोल इतना असली लगता था कि बच्चे उनसे डरने लगे थे। उन्होंने खुद एक किस्सा बताया था। वो थियेटर में अपनी फिल्म देखने गई थीं तो बगल में बैठे बच्चे उनको देखकर भागने लगे थे। बाद में बच्चों ने उनसे कहा था कि आप सच में ऐसी नहीं हो तो फिल्मों में ऐसा रोल क्यों करती हो।