संघ की बड़ी जीत : हिन्दुस्तान के तीनों सर्वोच्च पदों पर विराजमान हुए ‘संघ के स्वयंसेवक’
नई दिल्ली – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और देश के लिए शनिवार का दिन बेहद खास रहा। ये दिन देश के इतिहास में दर्ज हो गया, क्योंकि वेंकैया नायडू की जीत के साथ ही आजादी के बाद ये पहला मौका है जब देश के तीनों सर्वोच्च संवैधानिक पदों पर संघ के स्वयंसेवक विराजमान हुए हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, निर्वाचित उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीनों ही संघ के स्वयंसेवक हैं। RSS Volunteers on the three highest posts of the country.
देश के तीनों सर्वोच्च पदों पर संघ के स्वयंसेवक
रामनाथ कोविंद, वेंकैया नायडू और नरेंद्र मोदी तीनों ही संघ से जुड़े हुए हैं और आज क्रमशः राष्ट्रपति, निर्वाचित उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पद संभाल रहे हैं। इन तीनों नेताओं के जीवन में भी काफी समानता है। इनकी जिंदगी गरीबी में गुजरी है। देश के पीएम मोदी जहां बचपन में चाय की दुकान पर चाय बेचते थे, तो वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का बचपन फूस के घर में बीता है। इसी तरह वेंकैया नायडू के पिता भी किसान थे।
वर्तमान में देश को सर्वोच्च पदों को संभालने वाले इन तीनों नेताओं का बचपन जहां गरीबी में गुजरने के अलावा इनमें एक समानता ये है ये आज जो कुछ भी हैं वो बिना किसी सियासी गॉडफादर के हैं। तीनों ही नेताओं ने अपनी प्रतिभा, लगन और कड़ी मेहनत के बदौलत पार्टी और राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई। ये संघ के सदस्य के रूप में जुड़े और अपनी मेहनत से सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ते हुए आज ये ऊंचाई हासिल की है।
ये है तीनों नेताओं कि संघ की पृष्ठभूमि
देश के मौजूदा राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तीनों संघ की शाखाएं हैं। संघ में इन तीनों नेताओं कि पृष्ठभूमि की बात करें तो नरेंद्र मोदी 17 साल की उम्र में साल 1967 में संघ से जुड़े और संघ प्रचारक के रूप में काम कर पार्टी हाईकमान तक पहचान बनाई। मोदी को साल 2001 में गुजरात का सीएम बनाया गया। आज वो साल 2014 में प्रचंड बहुमत के साथ देश के प्रधानमंत्री का पद संभाल रहे हैं। इसी तरह मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी संघ से जुड़े नेता हैं।
जो साल 1977 में जनता पार्टी की सरकार में प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई के निजी सचिव बने। साल 1993 और 1999 दो बार राज्यसभा रहे और बीजेपी के दलित मोर्चा के अध्यक्ष भी रहे। बात करें वेंकैया नायडू की जिंदगी कि तो वो भी मोदी की तरह बचपन से ही संघ से जुड़े हुए हैं। संघ के सदस्य के रुप में काम करते हुए आज वो देश का सर्वोच्च पद बैठने जा रहे हैं।