दूल्हा ईसाई, दुल्हन मुस्लिम, फिर भी हिंदू धर्म से किया विवाह, पहले नहीं देखी होगी ऐसी शादी
प्यार को जात-पात, उंच-नीच, धर्म-मजहब जैसी दिवारे नहीं रोक पाती हैं। जब दो दिल आपस में मिलते हैं तो उनका प्यार एक अटूट बंधन से जुड़ जाता है। आप ने दो अलग-अलग धर्मों के लोगों की शादी के बारे में कई बार देखा सुना होगा। आमतौर पर ये कपल दोनों में से किसी एक के धर्म के रीति रिवाजों को अपना शादी कर लेता है। लेकिन उत्तर प्रदेश बरेली शहर में एक बड़ा ही अनोखा विवाह देखने को मिला।
ईसाई दूल्हे, मुस्लिम दुल्हन ने हिंदू धर्म से की शादी
यहां ईसाई युवक, मुस्लम युवती हिंदू परंपरा से शादी के बंधन में बंधे। इस दौरान मांग भरने से लेकर सात फेरे, कन्यादान और गोद भराई तक सारी रस्में हुई। इस शादी को सम्पन्न करने में मंदिर के महंत और हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने पूर्ण सहयोग किया। शादी बरेली स्थित अगस्त्य मुनि के आश्रम में सम्पन्न हुई।
अब आप सोच रहे होंगे कि भैया लड़का ईसाई, लड़की मुस्लिम तो सिर्फ शादी हिन्दू धर्म से क्यों? दरअसल ईसाई युवक सुमित एर मुस्लिम युवती नूर बी सनातनी संस्कारों से काफी इंप्रेस थे। उनका इनके प्रति इतना आकर्षण था कि दोनों ने हिन्दू परंपराओं से अपने जीवन की नई शुरुआत की। इतना ही नहीं दोनों ने सनातन धर्म भी अपना लिया। नूर ने तो अपना नाम बदलकर निशा रख दिया।
ऐसे शुरू हुई प्रेम कहानी
सुमित और नूर की प्रेम कहानी तीन साल पहले शुरू हुई थी। सुमित के रहने वाले हैं जबकि नूर पीलीभीत की हैं। दोनों इंटर मीडिएट की पढ़ाई के दौरान पहली बार एक दूसरे से टकराए थे। वहीं इनके दिल में प्यार का दीपक जला और दोनों ने शादी का निर्णय लिया। हालांकि धर्म की दीवार रोड़ा बन रही थी। परिजन शादी को रेडी नहीं थे।
परिजनों के विरोध के बावजूद कपल ने शादी कर एक दूसरे के होने का मन बना लिया। सुमित ने नूर को सनातन धर्म से शादी करने का ऑफर दिया। इसे नूर ने खुशी-खुशी स्वीकार किया। बस फिर क्या था। सुमित ने चीजें तेजी से करना शूर कर दी। शादी के लिए अपने दोस्तों और हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं की मदद ली। फिर अगस्तय मुनि के आश्रम में शादी की रस्में शुरू हो गई।
मांग भरने से फेरों तक हुई सभी रस्में
नूर की गोद भराई की रस्म में हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता आगे आए। वहीं पंडित जी ने खुद नूर का कन्यादान कर डाला। इसके बाद सुमित ने नूर की सिंदूर से मांग भरी और अग्नि को साक्षी मानकर 7 फेरे लिए। शादी के बाद नूर ससुराल चली गई। अब लोग उसे निशा नाम से जानते हैं। वह माता रानी की बड़ी भक्त है। यहां तक कि नवरात्रि में माता रानी के नाम का व्रत भी रखती है।
खबरों की माने तो शादी के बाद जब युवती सुमित के घर गई तो उसके परिजन वहाँ पहुँच गए। वे सुमित से उनकी बेटी को वापस करने की मांग करने लगे। वहीं सुमित के आस पड़ोस के लोगों ने भी युवती को वापस भेजने का दबाव बनाया। हालांकि सुमित इस चीज के लिए नहीं माना।