भारतीय जज का पुतिन को झटका: अन्तरराष्ट्रीय कोर्ट में लिया ऐसा फैसला, अमेरिका भी करने लगा तारीफ
रूस और यूक्रेन के बीच जंग रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। दोनों ही देश जंग में झुकने के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं। इसी वजह से 22वें दिन भी जंग जारी है। यूक्रेन में बरस रहे रूसी बम वहां के नागरिकों को भी निशाना बना रहे हैं। सैकड़ों नागरिक इसकी चपेट में आ चुके हैं और कइयों की मौत भी हो चुकी है।
वहीं अमेरिका समेत दूसरे यूरोपीय देश रूस से जंग को रोकने की अपील कर रहे हैं। कई देशों ने तो रूस के खिलाफ कड़े प्रतिबंध भी लगा दिए हैं। इसके बाद भी वे रूस को रोकने में नाकामयाब हो रहे हैं। दूसरी ओर अन्तराराष्ट्रीय कोर्ट में भारतीय जज ने जो फैसला लिया है, उसकी चर्चा भी खूब हो रही है।
इंटरनेशनल कोर्ट ने हमला बंद करने का आदेश दिया
रूस को रोकने में सभी देश नाकाम हो रहे हैं। वहीं भारत ने न्यूट्रल रहने का अपना फैसला भी सुना दिया है। वहीं दूसरी ओर मामला संयुक्त राष्ट्र की सबसे बड़ी अदालत ‘इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस’ तक भी पहुंच गया। इस मामले पर कोर्ट भी काफी सख्त हो गया है और कोर्ट ने रूस को फौरन ही यूक्रेन पर हमला बंद करने का आदेश दे दिया है।
यूक्रेन इस मामले को लेकर संयुक्त राष्ट्र पहुंचा था। यहां इंटरनेशनल कोर्ट में उसने रूस के हमलों को कानूनों का उल्लंघन बताया था। इसी के बाद कोर्ट ने फैसला लिया और रूस के खिलाफ और पक्ष में वोटिंग करवाने का निर्णय लिया गया। इसी वोटिंग में 13 जजों ने हिस्सा लिया। इनमें भारतीय न्यायाधीश भी शामिल थे।
भंडारी ने विरोध में डाला वोट
आपको बता दें कि आईसीजे में इंडिया के न्यायाधीश दलवीर भंडारी भी मौजूद हैं। उन्होंने इस मतदान में अपना वोट रूस के विरोध में डाला। कुल मिलाकर 13 जस्टिस इस वोटिंग में शामिल थे। इनमें से 11 जजों ने रूस का विरोध करते हुए वोट डालाष जबकि 2 जजों ने रूस के पक्ष में मतदान किया।
जिन दो जजों ने रूस का पक्ष लिया है उनमें रूस के ही किरिल गेवोर्गियन और चीन के न्यायाधीश सू हनकिन शामिल हैं। वहीं अमेरिका ने आईसीजे के इस आदेश की तारीफ की है। कोर्ट के आदेश के बाद यूक्रेन ने रूस से फौरन ही आदेश का पालन करने के लिए कहा है। यूक्रेन ने इसे रूस के खिलाफ अन्तरराष्ट्रीय कोर्ट में अपनी जीत करार दिया है।
जानें कौन हैं जस्टिस भंडारी
अब हम आपको उन जज के बारे में बताते हैं जिन्होंने रूस के विरोध में वोट डाला है। जस्टिस भंडारी साल 2012 में पहली बार इंटरनेशनल कोर्ट में पहुंचे थे। उनका ये कार्यकाल साल 2018 तक जारी रहा था। इसके बाद भारत सरकार ने फिर से उनको नामित किया। उन्होंने यूके के नामित जस्टिस ग्रीनवुड को हराकर ICJ में एक और कार्यकाल जीता।
भंडारी का ये दूसरा कार्यकाल है। वहीं दूसरी ओर आईसीजे का फैसला मानने को रूस बाध्य हो जाएगा। अन्तरराष्ट्रीय कानूनों के हिसाब से हर देश को कोर्ट का फैसला मानना ही होता है वरना वो अलग-थलग हो जाता है। कोर्ट ने फौरन ही हमला रोकने का आदेश दे दिया है। रूस के लिए ये आदेश बाध्यकारी है।