यहां होली पर दामाद को करवाते हैं गधे की सवारी, पूरे गांव में निकालते हैं जुलूस, जाने क्या है वजह
होली का त्योहार हर किसी को पसंद होता है। इसे देशभर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार होली 18 मार्च को है। ऐसे में लोग अपने रिश्तेदारों और करीबियों संग होली खेलने उनके घर भी जाएंगे। लेकिन महाराष्ट्र के बीड जिले में एक ऐसा गांव हैं जहां दामाद जी होली खेलने भूलकर भी नहीं आते हैं। यदि वे आ जाए तो उन्हें गधे पर बैठाकर पूरे गाँव में घुमाया जाता है।
यहां होली पर दामाद को गधे पर बैठाते हैं
दरअसल बीड जिले की केज तहसील के विदा गांव में होली पर एक अनोखी परंपरा का पालन किया जाता है। यहां नए नवेले दामाद को नए कपड़े पहनाकर, होली से रंगकर, गधे पर बैठाकर पूरे गाँव घुमाया जाता है। ये चीज सिर्फ एक दिन नहीं बल्कि पूरे चार दिन तक चलती है। गाँव की यह परंपरा 90 साल पुरानी है। यहां के ग्रामीण आज भी इस परंपरा को निभाते हैं।
इस उद्देश्य से गधे की सवारी करता है दामाद
अब आप लोग सोच रहे होंगे कि आखिर गाँव की इस अनोखी परंपरा का मकसद क्या है? कौन अपने नए नवेले दामाद को पूरे गाँव में गधे पर बैठा घुमाता है। दरअसल इसकी वजह नए दामाद की पूरे गाँव में पहचान कराना होती है। नए नवेले दामाद को चार दिनों तक गधे पर घुमाते हुए गाँव वालों को दिखाया जाता है। गाँव वाले भी इस नए दामाद पर नजरें गड़ाए रखते हैं।
दामाद को मिलते हैं नए कपड़े
होली वाले दिन दामाद की गधे की सवारी गाँव के बीचों बीच से शुरू होती है। इसके बाद दामाद को गधे पर बैठाकर गाँव के हनुमान मंदिर तक ले जाया जाता है। इस दौरान ससुराल वाले दामाद को उसकी पसंद के नए कपड़े भी दिलाते हैं। इस अनोखी परंपरा को आनंद राव देशमुख नाम के शख्स ने शुरू किया था। वह गाँव का ही रहने वाला एक व्यक्ति था। बस तभी से यहां के लोग आज तक इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं।
दामाद भाग न जाए इसका रखते हैं ध्यान
इस दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि दामाद होली वाले दिन गाँव में ही मौजूद रहे। वह कहीं गुम न हो जाए। क्योंकि कुछ दामाद होली वाले दिन गाँव से भाग भी जाते हैं। उन्हें ये परंपरा कोई खास पसंद नहीं आती है। हालांकि कुछ इस परंपरा को बड़े शौक से निभाते भी हैं।
बरहाल लोगों को जब इस अनोखी परंपरा के बारे में पता चला तो वे हैरान रह गए। क्योंकि देश के अधिकतर हिस्सों में दामाद को बड़ी इज्जत दी जाती है। लेकिन यहां तो उन्हें गधे पर बैठा पूरे गाँव में घुमाया जाता है।