अगर आप भवसागर से पार होना चाहते हैं तो आपके लिए सबसे उत्तम है यह मार्ग, जानिये.
अक्सर कई लोगों को धर्म को लेकर शंका बनी रहती है। कुछ लोग हिन्दू धर्म में हो या मुस्लिम धर्म में हो, लेकिन हमेशा यह शंका बनी रहती है कि उनके लिए कौन सा धर्म सही रहेगा। अगर आपको भी ऐसी शंका कभी-कभी होती है तो चिंता मन कीजिये हम आपके लिए एक ऐसी जानकारी लाये हैं, जिसे जानने के बाद आपके मन की सारी शंकाएं दूर हो जाएगी।
सबने बताई अपने-अपने धर्म की विशेषताएं:
एक बार की बात है, रीवा की गद्दी पर जब महाराज जोरावर सिंह जूदेव बैठे तो उन्होंने राज्य की भलाई के लिए कई सुधार कार्य किये। उन्होंने अपने राज्य में यह घोषणा की कि उनका राज्य उसी धर्म का अनुयायी होगा जो धर्म सर्वमान्य और निर्दोष होगा। उन्होंने अपने राजमहल में सभी धर्म से साधू संतो और धर्म के अनुयायियों को बुलाया। सभी लोगों ने अपने-अपने धर्म की विशेषताएं बताई।
महाराज ने बनायीं राज्य के भ्रमण की योजना:
काफी देर बाद भी कोई ऐसा धर्म सामने नहीं आया जिसमें शंका, आक्षेप, आलोचना के सामने नहीं आया जो निर्दोष और और सर्वमान्य हो। इसके कुछ समय बाद महाराजा ने अपने राज्य के भ्रमण की योजना बनायी। राज्य के सामने नदी थी, इसलिए नदी पार करने के लिए उन्होंने राज्य के दीवान से नौका का इंतज़ाम करने के लिए कहा। दीवान में सभी नावों का परिक्षण करने के बाद कहा कि इनमें से कोई ऐसी नौका नहीं है जिसमें कोई न कोई कमी ना हो।
सभी नावों में थी कोई ना कोई कमी:
कोई नाव बहुत छोटी है तो कोई बहुत बड़ी है, कोई नाव बहुत पुरानी है तो कोई बहुत ही ज्यादा गन्दी है और किसी का झुकाव एक तरफ ज्यादा है। रजा यह सुनकर बोले इस बात से क्या फर्क पड़ता है। मायने तो यह रखता है कि नाव उस पार तक पहुंचा पाएगी या नहीं। राजा की यह बात सुनकर दीवान जी बोले सही कहा महाराज आपने। हर नाव में कोई ना कोई कमी है लेकिन सभी नाव उस पार तक जाने में सक्षम है।
सभी धर्म है इंसानों को भवसागर से पार कराने में सक्षम:
ठीक इसी तरह इस संसार में अलग-अलग तरह के कई धर्म हैं। संसार के हर धर्म में कोई ना कोई कमी जरुर है लेकिन यह भी सच है कि सभी धर्म इंसानों को इस भवसागर से पार कराने में सक्षम हैं। दीवान की यह बात सुनकर महाराजा ने उनकी काफी प्रशंसा की। किसी भी चीज में सर्वमान्यता खोज करना व्यर्थ है जरुरी है उस चीज की उपोगिता या उपादेयता।