शहादत को नमन: मेजर बेटे की शादी के लिए लड़कियां देख रहे थे मम्मी-पापा, तभी घर आ गई मौत की खबर
जिस घर में शहनाइयों की आवाजें गूंजनी चाहिए थी, वहां अब मातम पसरा हुआ है। जिस घर में बहू खुशियां लेकर आने वाली थी, उस घर में अब बेटे की मौत की खबर आ गई। जी हां हम बात कर रहे हैं मेजर संकल्प यादव की जो कश्मीर में हेलिकॉप्टर हादसे में शहीद हो गए। वो एक रेस्क्यू मिशन में थे और शहीद हो गए।
जयपुर के रहने वाले थे शहीद मेजर संकल्प
शहीद मेजर संकल्प यादव जयपुर शहर के रहने वाले थे। वो अपने परिवार के साथ शहर में ही रहकर बड़े हुए। उनके परिवार में माता-पिता और एक भाई है। पिता आरबीआई से रिटायर हैं तो माता शिक्षिका हैं। वहीं भाई आईटी कंपनी में काम करता है। मेजर संकल्प यादव रुटीन मिशन पर थे और फॉरवर्ड पोस्ट से बीमार सैनिक को वापस लाने के लिए शुक्रवार दोपहर रवाना हुए थे।
मेजर अपने साथी पायलट के साथ इंडियन आर्मी के चीता हेलिकॉप्टर पर सवार होकर गए थे। रास्ते में मौसम खराब हो गया और उनका चॉपर क्रैश कर गया। बांदीपोरा जिले के गुरेज के बरौब क्षेत्र की खाई में बर्फ के बीच हेलिकॉप्टर का मलबा मिला। दुर्घटना में मेजर संकल्प और उनका साथी दोनों ही घायल हो गए थे। संकल्प ने उधमपुर के कमांड हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली।
शादी के लिए देखी जा रही थीं लड़कियां
जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा ज़िले के गुरेज के बरौब इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हुए सेना के चीता हेलीकॉप्टर के सह-पायलट मेजर संकल्प यादव की 92 बेस अस्पताल में मृत्यु हो गई। उन्हें 2015 में कमीशन दिया गया था और वे जयपुर, राजस्थान के निवासी थे। pic.twitter.com/x9H9CWPXD8
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 11, 2022
मेजर संकल्प के परिवार ने बताया कि वो शुरू से आर्मी में जाना चाहते थे। इसी वजह से उन्होंने इसके लिए तैयारी भी पहले से ही शुरू कर दी थी। सवाई मानसिंह स्कूल से पढ़ाई करने वाले शहीद मेजर साल 2015 में सेना में शामिल हुए थे। वो आर्मी की एविएशन विंग का हिस्सा थे। 29 साल के शहीद मेजर हाल ही में घर से वापस गए थे।
परिवार ने बताया कि वो एक महीने की छुट्टी पर घर आए थे और उन्होंने पूरा वक्त घर पर ही बिताया था। इस दौरान उनके माता-पिता उनकी शादी को लेकर भी चिंतित थे और बहू की तलाश कर रहे थे। हालांकि उनका ये सपना पूरा नहीं हो सका और अपने जन्मदिन से सिर्फ 17 दिन पहले ही वो शहीद हो गए।
मामा जाने वाले थे कश्मीर
संकल्प की शहादत का गम उनके मामा को भी है। जितेन्द्र सिंह यादव ने बताया कि बचपन से ही भांजे का सपना आर्मी में जाने का था। वो परिवार के पहले ऐसे सदस्य थे जो सेना में गए थे। जितेन्द्र ने कहा कि वो अपने भांजे से मिलने कश्मीर जाने की सोच रहे थे कि इससे पहले ही ये मनहूस खबर उनके पास पहुंच गई।