‘निर्मला सीतारमण ‘ ये नाम आप सभी ने जरूर सुना होगा। निर्मला सीतारमण भारत की पहली फुलटाइम फीमेल फाइनेंस मिनिस्टर हैं। हालांकि उनकी उपलब्धि सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने अपने जीवनकाल में और भी की अचीवमेंटस हासिल की हैं। आज वे जिस मुकाम पर हैं वहाँ तक पहुंचने के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की है। अपने रास्ते में आने वाले हर अवसर का सही तरीके से लाभ उठाया है।
परिवार और शिक्षा
निर्मला सीतारम चेन्नई के एक मिडिल क्लास परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं था। उनके पिता रेलवे में थे तो माँ घरेलू महिला थी। निर्मला ने अपना ग्रेजुएशन तिरुचिरापल्ली के सीतालक्ष्मी रामास्वामी काॅलेज से पूरा किया। वहीं मास्टर्स की डिग्री हासिल करने के लिए वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) गई। यहाँ उन्होंने इकोनाॅमिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया।
शादी और शुरुआती करियर
कॉलेज के दिनों में निर्मला की दिलचस्पी ग्लोबलाइेशन और डेवलपिंग (विकासशील) पर इसके होने वाले प्रभाव में जागी। फिर JNU में पढ़ने के चलते भी उनका रुझान राजनीति में बढ़ा। इसी कॉलेज में वे परकला प्रभाकर से मिली और उनके संग शादी के बंधन में बंध गई। शादी के बाद प्रभाकर अपनी पीएचडी के लिए लंदन गए तो वहाँ निर्मला लंदन स्कल ऑफ इकोनाॅमिक्स में हैबिटेट में एक होम डेकोर स्टोर में सेल्सगर्ल की जाॅब करने लगी।
सेल्स गर्ल के रूप में उनके काम की तारीफ हुई। फिर वे युनाइटेड किंगडम में कृषि इंजीनियर्स एसोसिएशन में एक एसिस्टेंट इकोनाॅमिस्ट के रूप में भी काम करने लगी। वहीं वे बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में कुछ समय के लिए रही। इतना ही नहीं उन्होंने U.K में प्राइस वाॅटरहाउस में एक Senior Manager R&D के रूप में भी अपनी सेवाएं दी।
राजनीति में कदम
1991 में सीतारमण अपने पति प्रभाकर संग भारत लौट आई। यहाँ उन्होंने हैदराबाद में एक स्कूल खोला। बस इसी दौरान उनके जीवन का सबसे बड़ा अवसर उनसे टकराया। अर्थात वह बीजेपी नेता सुषमा स्वराज से मिली। सुषमा स्वराज को निर्मला के मुखर विचार, कठोर लेकिन शालीन व्यक्तित्व और इंटेलिजेंस बहुत अच्छी लगी। उन्होंने निर्मला को राष्ट्रीय महिला आयोग के मेंबर के रूप में नियुक्त कर लिया।
NWC एनडब्ल्यूसी 2003 से 2005 में अपना तीन साल का कार्यकाल सफलतापूर्वक पूर्ण करने के बाद निर्मला भाजपा में शामिल हो गई। दिलचस्प बात ये थी की उनके पति एक फेमस कांग्रेसी नेता के बेटे हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने बीजेपी से हाथ मिलाया। 2010 में वे आओने कठोर अभिव्यक्ति से बीजेपी प्रवक्ता बन गई। यह चीज उनके राजनीतिक करियर का बड़ा टर्निंग पॉइंट था।
महिला वित्त मंत्री का पद
2014 में जब नरेंद्र मोदी चुनाव जीते तो वे कैबिनेट मंत्री बन गई। इसके बाद उन्होंने काॅमर्स और इंडस्ट्री के स्टेट मिनिस्टर के रूप में कार्यभार संभाला। वर्तमान में वे भारत की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री हैं। फियर्स आउटलुक और अनडिटर्रड पाॅलिटिकल रुख के चलते वे पार्टी के साथ-साथ भारतीयों की भी फेवरेट बनी।
सफलता का मंत्र
निर्मला ने एक बार खुद को मिली सबसे अच्छी सलाह का जिक्र किया था। वह सलाह थी ” हमेशा बीच का रास्ता चुनें और संतुलन बनाए रखने की कोशिश करें।” इसका अर्थ है न तो एक्सट्रीम रास्ता चुने और न ही बहुत विनम्र बने। ऐसा कर आप अपनी गरिमा खो देंगे। ओवर-काॅन्फिडेंट या एग्रेसिव भी न होए, इससे आप अपना बेस खो देंगे। हर स्थिति में सिर्फ खुद को बैलेंस करके चलें। यदि आप स्वयं पर कंट्रोल रखेंगे तो कभी बहुत बुरी स्थिति नहीं फँसेंगे।