500 मेडिकल स्टोर..हर एक का रेट 5000 रुपये प्रतिमाह, 25 लाख की घूस हर महीने, ऐसे फंसी महिला अफसर
जयपुर में एक महिला ड्रग इंस्पेक्टर घूस लेते रंगे हाथ पकड़ी गई। एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा उजागर किए गए इसके कारनामों को देखें तो लगेगा कि इसने बड़े-बड़े घूसखोर सरकारी अफसर और कर्मचारियों के भी कान काट लिए हैं। आपको हैरानी होगी जब इस शातिर घूसखोर महिला ड्रग इस्पेक्टर को रंगे हाथ पकड़ा गया तो उसने कहा ‘अकेले मेरे लिए नहीं है, ऊपर तक देना है’।
रंगे हाथ पकड़ी गई
जयपुर में एंटी करप्शन ब्यूरो ने ड्रग इंस्पेक्टर को पांच हजार रुपये घूंस लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया। जैसे ही उस इंस्पेक्टर को गिरफ्तार किया गया, . उसने दो टूक कह दिया कि अकेले मेरे लिए नहीं है, ऊपर तक देना पड़ता है, नहीं देने पर कहते हैं कि बीकानेर ट्रांसफर करवा देंगे।
जयपुर के 500 मेडिकल स्टोर को जिम्मा था
गिरफ़्तार सिंधू कुमारी के पास जयपुर के 500 मेडिकल स्टोर के निरीक्षण की ज़िम्मेदारी थी और वो हर एक स्टोर से हर महीने पांच-पांच हज़ार रुपये की वसूली करती थी। इस तरह वो हर महीने 25 लाख रुपए बैठे-बिठाए घूस ले लेती थी। दस दिन पहले ही एंटी करप्शन ब्यूरो के पास एक दवा दुकान मालिक ने शिकायत की थी कि कई सालों से ड्रग इंस्पेक्टर सिंधू कुमारी 5 हजार रुपये लेती है।
रिश्वत घर पर मंगवाती थी
सिंधू कुमारी मूलतः बिहार की रहने वाली है और राजस्थान में नौकरी करती है। आज तक कभी किसी दवा दुकान की जांच नहीं की, बस उसकी डिमांड होती है कि घर आकर पैसे दे जाओ। दुकानदारों का कहना है कि छोटे मोटे काम भी कराने होते हैं तो हर काम के पैसे मांगती हैं।
ड्रग स्टोर में या दवा दुकान में कोई नया कर्मचारी भी रखना है तो उसके बदले भी पैसे मांगती थी क्योंकि नियम के अनुसार राज्य इंस्पेक्टर को जानकारी देनी होती है। एंटी करप्शन ब्यूरो ने लगातार सात दिनों तक इस शिकायत की जांच की और सही पाया, तब 5 हज़ार रुपये की रिश्वत मांगने वाली सिंधू कुमारी को ट्रैक करने के लिए एक जाल बिछाया।
ऐसे पकड़ी गई
एंटी करप्शन ब्यूरो ने आरोपी इंस्पेक्टर को एक रेस्टोरेंट में पैसे लेने के लिए बुलाया और वहां पर रंगे हाथों पकड़ लिया। ड्रग इंस्पेक्टर सिंधू कुमारी जब रिश्वत ले रही थी तब मेडिकल विभाग में मीटिंग चल रही थी। उन्हें बुलाया जा रहा था मगर उसके लिए रिश्वत लेना पहला काम था। वह रिश्वत लेने के लिए रेस्टोरेंट पहुंच गईं लेकिन मीटिंग में नहीं गई। .बताया जाता है कि सिंधू कुमारी की ड्रग विभाग में काफी चलती थी। जयपुर के सबसे बड़े मेडिकल कारोबार बाज़ार सेठी कॉलोनी का जिम्मा भी इसके पास था।
कार और ड्राइवर की सुविधा कैसे मिली?
सिंधू कुमारी को इंस्पेक्टर होने के बावजूद गाड़ी और ड्राइवर जैसी सुविधाएं भी दी गई थीं, जिससे विभाग के बड़े अफसरों पर भी सवाल उठ रहे हैं। पिछली बार कोरोना में जब रेमडेसिविर इंजेक्शन का संकट पैदा हुआ था तब भी उसकी पूरी जिम्मेदारी ड्रग विभाग ने ड्रग इंस्पेक्टर सिंधू कुमारी को ही दी थी।
बड़े अफसरों पर लटकी तलवार
दुकानदारों का आरोप है कि घूस लेने में शातिर होने के कारण ही सिंधू कुमारी को विभाग के अधिकारी इतनी तवज्जो देते थे। सिंधू कुमारी ने ऊपर तक पैसा पहुंचान की बात की है जो घूसखोरी के एक पूरे रैकेट की तरफ भी इशारा कर रही है। सिंधू कुमारी के आरोपों से ड्रग विभाग में हड़कंप मच गया है। एंटी करप्शन ब्यूरो इस मामले की तस्दीक कर ऊपर के अधिकारियों पर भी कार्रवाई करने जा रही है।