वो 6 मौके जब भारत के लिए अमेरिका से लड़ गया रूस, इंडिया के समर्थन में इस्तेमाल किया अपना वीटो पावर
रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है. कोई रूस तो कोई यूक्रेन का समर्थन कर रहा है हालांकि भारत अपने बहुत पुराने दोस्त रूस के साथ खड़ा हुआ है. भारत ने रूस के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में लाए गए निंदा प्रस्ताव पर अपना मत न देकर यह जाहिर भी कर दिया.
बता दें कि भारत और रूस दोनों देशों के बीच रिश्ते हमेशा ही अच्छे रहे है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी गहरी दोस्ती रखते हैं.
साल 1957 से लेकर साल 1971 के बीच 14 सालों के इतिहास में पूर्व के सोवियत संघ (USSR) और रूस ने हमेशा भारतीय हितों का ख्याल रखा और जरूरत के वक्त वीटो पावर का इस्तेमाल किया. आइए जानते है ऐसा कब-कब हुआ है. जबकि दूसरी ओर अमेरिका भारत का विरोध करता रह गया.
20 फरवरी 1957…
सबसे पहले रूस ने ऐसा 20 फरवरी 1957 को किया था. भारत की आजादी के बाद पाकिस्तान ने भारत में कबायलियों को भेजकर हमले करने शुरू कर दिए थे. मामला संयुक्त राष्ट्र तक पहुंचा. बात यह भी निकलकर सामने आई कि संयुक्त राष्ट्र को कश्मीर में अस्थायी तौर पर अपनी सेना तैनात करनी चाहिए. लेकिन सोवियत संघ ने भारत के समर्थन में प्रस्ताव के खिलाफ वीटो पावर का उपयोग किया था. जबकि अमेरिका सहित कई देशों ने प्रस्ताव के समर्थन में वीटो पावर का इस्तेमाल किया था.
18 दिसंबर 1961…
भारत के खिलाफ संयुक्त प्रस्ताव अमेरिका सहित फ्रांस, तुर्की, यूके लेकर आए थे. मामला था गोवा और दमन एवं दीव में भारत द्वारा सैन्य बलों के इस्तेमाल पर देशों ने आपत्ति जताई थी. हालांकि अमेरिका सहित इन देशों के प्रस्ताव का सोवियत संघ, सिलोन (तब का श्रीलंका), लाइबेरिया और यूएई ने विरोध करते हुए भारत का साथ दिया था.
22 जून 1962…
भारत और पाकिस्तान के बीच के कश्मीर मुद्दे को लेकर अमेरिका के समर्थन से आयरलैंड ने सुरक्षा परिषद में आवाज उठाई और प्रस्ताव लाते हुए भारत-पाकिस्तान दोनों देश से कश्मीर विवाद सुलझाने की मांग की. हालांकि एक बार फिर से अमेरिका को मुंह की खानी पड़ी और सोवियत संघ ने प्रस्ताव के खिलाफ वीटो पावर का उपयोग किया. बता दें कि अमेरिका ने इसके पक्ष में वोट किया था.
4 दिसंबर, 1971…
अमेरिका एक प्रस्ताव लाया जिसके अंतर्गत भारत-पाकिस्तान सीमा पर युद्धविराम लागू करने की मांग हुई. हालांकि रूस ने फिर से भारत का साथ दिया और अमेरिका देखता रह गया.
अमेरिका सहित कई देशों ने प्रस्ताव का समर्थन करते हुए मत दिया जबकि रूस ने वीटो पावर का इस्तेमाल कर भारत का साथ दिया. तब रूस के लिए अटल बिहारी वाजपेयी ने एक रैली में कहा था कि, ”मौजूदा संकट में जो साथ देगा, वह हमारा दोस्त है. विचारधारा की लड़ाई बाद में लड़ ली जाएगी”.
5 दिसंबर, 1971…
अर्जेंटिना, बेल्जियम, बुरुंडी, इटली, जापान, निकारागुआ, सियरा लियोन और सोमालिया जैसे देशों द्वारा लाए गए एक प्रस्ताव का अमेरिका ने समर्थन किया था. इन देशों का कहना था कि भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर युद्धविराम लागू किया जाए और इसे लेकर प्रस्ताव लाया गया. लेकिन रूस ने फिर भारत का साथ दिया और भारत के लिए वीटो पावर का उपयोग किया.
14 दिसंबर, 1971…
अमेरिका भारत-पाकिस्तान के मुद्दे को लेकर एक बार फिर प्रस्ताव लाया. प्रस्ताव था दोनों देशों की सरकारों से युद्ध रोकने और अपनी-अपनी सेनाओं को अपने क्षेत्र में वापस बुलाने से संबंधित. अमेरिका सहित कई देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया. हालांकि पोलैंड सहित रूस ने इस बार भी अमेरिका के प्रस्ताव को ठुकराते हुए अपने दोस्त भारत के समर्थन में वीटो पावर का इस्तेमाल किया.