अध्यात्म

कालिदास से विवाह कर राजकुमारी को हुआ था पछतावा, फिर एक वेश्या ने ले ली थी कालिदास की जान

महाकवि कालिदास को कौन नहीं जानता। वे संस्कृत भाषा के कवि और नाटककार थे। उन्हें महान राजा विक्रमादित्य के दरबार के नवरत्नों में एक स्थान प्राप्त था। उन्होंने अपने जीवनकाल में अभिज्ञान शाकुन्तलम्, विक्रमोर्वशीयम्, मालविकाग्निमित्रम्; महाकाव्य- रघुवंशम् और कुमारसंभवम्, खण्डकाव्य- मेघदूतम् और ऋतुसंहार नामक प्रसिद्ध संस्कृत ग्रंथों की रचना की। लेकिन क्या आप जानते हैं कि 18 वर्ष कि आयु तक वे बेहद मूर्ख और अनपढ़ थे।

जब कालिदास जैसे मूर्ख इंसान से हुई राजकुमारी की शादी

कालिदास की शादी मालवा राज्य की अत्यंत बुद्धिमान और रूपवती राजकुमारी विद्योत्तमा से हुई थी। राजकुमारी की इच्छा थी कि वे सिर्फ उसी इंसान से शादी करेंगी जो उन्हें शास्त्रार्थ में हरा देगा। उनसे शादी करने दूर-दूर से कई विद्वान आए, लेकिन राजकुमारी ने सभी को हराकर नीचा दिखाया। ऐसे में सभी विद्वानों ने मिलकर राजकुमारी को सबक सिखाने के लिए उनका ब्याह धोखे से कालिदास जैसे मूर्ख शख्स से करवा दिया।

विद्वान जब मूर्ख शख्स की तलाश में निकले तो उनकी नजर पेड़ की डाली पर चढ़कर उसी डाली को काट रहे मूर्ख कालिदास पर पड़ी। कालिदास दिखने में बेहद सुंदर थे। विद्वानों उन्हें राजकुमारी से शादी का लालच देकर सुंदर वस्त्र पहनाकर राजमहल ले गए। उन्होंने विद्योत्तमा से कहा गया कि ये शख्स मौन साधना में रत है जिसके चलते संकेतों में शास्त्रार्थ करेगा। विद्योत्तमा मान गई।

अब शास्त्रार्थ शुरू हुआ। विद्योत्तमा ने अंगुली उठाई। इसका अर्थ था “ईश्वर एक है और वह अद्वैत है।” कालिदास को लगा वह मेरी आंख फोड़ना चाहती है तो उसने दो उंगली उठा दी। मतलब तुम एक आंख फोड़ोगी तो मैं तुम्हारी दोनों आंखें फोड़ दूंगा। हालांकि विद्वानों ने राजकुमारी को कालिदास का इशारा अपने हिसाब से समझाते हुए कहा “ईश्वर एक है। लेकिन प्रकृति और विश्व के रूप में वह अन्य रूप भी धारण करता है। अतः पुरुष और प्रकृति, परमात्मा और आत्मा दो-दो शाश्वत हैं।”

इससे प्रभावित होकर विद्योत्तमा ने हथेली उठाई जिसकी पांचों अंगुलियां ऊपर की ओर थी। इसका अर्थ था “आप जिस प्रकृति, जगत जीव या माया के रूप में द्वैतवाद को स्थापित कर रहे हैं, उसकी रचना पंचत्तत्व से होती है। ये पंचतत्त्व हैं- पृथ्वी, पानी, पवन, अग्नि और आकाश। ये सभी तत्त्व भिन्न और अलग हैं, इनसे सृष्टि कैसे हो सकती है?”

राजकुमारी की हथेली देख कालिदास को लगा राजकुमारी उन्हें थप्पड़ मारना चाहती है। तो उन्होंने मुक्का दिया दिया। विद्वानों ने इसका अलग अर्थ राजकुमारी को बताते हुए कहा “जब तक पंचतत्त्व अलग-अलग रहेंगे, सृष्टि नहीं होगी। पंचतत्त्व करतल की पंचांगुलि है। सष्टि तो मुष्टिवत् है। मुट्ठी में सभी मिल जाते हैं तो सृष्टि हो जाती है।” यह सुन सभा में तालियां बजने लगी। विद्योत्तमा ने भी हार मान कालिदास से विवाह कर लिया।

शादी कर पछताई राजकुमारी, दे दिया श्राप

शादी के बाद राजकुमारी को कालिदास की सच्चाई पता लगी। ऐसे में उन्होंने कालिदास को संस्कृत की शिक्षा दी। व्याकरण, छंद शास्त्र, निरुक्त ज्योतिष और छहों वेदांग, षड्दर्शन इत्यादि का ज्ञान ग्रहण कर कालिदास राजा विक्रमादित्य के दरबार में नवरत्न में से एक बन गए।

पत्नी से शिक्षा लेते-लेते कालिदास उन्हें माता और गुरु के रूप में देखने लगे थे। उनके राजकुमारी से पति-पत्नी वाले संबंध नहीं थे। ऐसे में पत्नी ने गुस्सा होकर कालिदास को घर से निकाल दिया। साथ ही गुस्से में श्राप दिया कि तेरी मृत्यु भी किसी स्त्री के हाथों होगी।

मां काली का गलत वर्णन करना कालिदास को पड़ा महंगा

कालिदास ने घर छोड़ते हुए ठान लिया कि अब वे एक महान विद्वान बनकर ही लौटेंगे। फिर वे माँ काली के भक्त बन गए। उनके आशीर्वाद से उन्होंने और ज्ञान प्राप्त किया और कई अद्भुत साहित्य की रचना की। एक बार कालिदास मां काली का एक श्लोक में वर्णन कर रहे थे। वे उनके शृंगार और सुंदरता का वर्णन करते-करते अपनी सीमा लांघ गए।

कालिदास ने मां काली के वक्ष और जाघ पर बने तिल तक का वर्णन कर दिया। जब उनका श्लोक लोगों ने पड़ा तो वे बड़े नाराज हुए। हर कोई अब कालिदास को इसकी सजा देना चाहता था। कालिदास को खोजने के लिए राजा विक्रमादित्य ने एक तरकीब खोजी। उन्होंने एक अधूरा श्लोक लिखवाया और कहा कि जो भी इस श्लोक को पूरा करेगा उसे मेरा आधा राज्य मिलेगा।

वेश्या के हाथ हुई कालिदास की मौत

राजा जानते थे कि ये श्लोक सिर्फ कालिदास ही पूर्ण कर सकते हैं। इस बीच एक वेश्या को राजा का आधा राज्य लेने का लालच आया। उसने अपनी दीवार पर इस अधूरे श्लोक को लिखवा दिया। साथ ही श्लोक के पास अपनी तस्वीर भी बनवा दी ताकि लोगों का ध्यान इस पर जाए।

फिर एक दिन कालिदास वेश्या के घर के पास से गुजरे। अधूरे श्लोक को देख वह सीढ़ी ले आए और दीवार पर श्लोक को पूरा करने लगे। ये चीज वेश्या ने देख ली। उन्होंने कालिदास को अपने घर बुलाया। पहले श्लोक का अर्थ पूछा। फिर उनके हाथ पैर बांध गला घोंट नदी में फेंक दिया।

अब वेश्या ये श्लोक लेकर राजा के पास गई। उसने शर्त के मुताबिक राजा से आधा राज्य मांगा। लेकिन राजा समझ गए कि वेश्या इसे पूरा नहीं कर सकती। जरूर कालिदास ने इसकी मदद की है। बहुत डराने और धमकाने के बाद वेश्या ने सच बता दिया।

कालिदास की मौत की खबर सुन राजा हैरत में पड़ गए। उन्होंने अपने विद्वानों से पूछा कि आखिर कालिदास जैसे महान विद्वान की मौत इस तरह क्यों हुई? विद्वानों ने कहा कि कालिदास ने एक अपात्र वेश्या को ज्ञान दिया इसलिए उनका ये हाल हुआ। वहीं कुछ का मानना था कि पत्नी के श्राप के चलते उन्हें ऐसी मौत नसीब हुई।

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