पुतिन ने यूक्रेन में सेना भेजने का दिया आदेश, इन 2 शहर में घुसेगी रूसी सेना, पूरी दुनिया में दहशत
यूक्रेन को लेकर रूस तथा अमेरिका और पश्चिमी देशों के बीच टकराव अब युद्ध की तरफ बढ़ गया है। सोमवार (21 फरवरी) की रात रूसी राष्ट्रपति के ऐलान के साथ युद्ध की घंटी बज गई है। कल रात रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने राष्ट्र के नाम संबोधन में अमेरिका पर जुबानी हमला बोला और फिर यूक्रेन के दो हिस्सों- डोनेत्स्क और लुहांस्क को स्वतंत्र करार दिया।
पुतिन ने इसके ठीक बाद अलगाववादियों के कब्जे वाले इन शहरों में सैनिक भेजकर शांति अभियान चलाने का भी आदेश दे दिया। चौंकाने वाली बात यह है कि पुतिन के आदेश से महज 11 घंटे पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था कि वह रूसी राष्ट्रपति के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के दो शहरों- डोनेत्स्क और लुहांस्क को स्वतंत्र क्षेत्रों के तौर पर पहचान देने की बात कही है। इसके बाद उन्होंने इन दोनों शहरों में अपनी सेना भेजकर अलगाववादियों को खुली मदद देने का भी एलान कर दिया।
पुतिन के इस कदम से पश्चिमी देशों में हलचल मच गई है। यूरोपीय देशों, अमेरिका और ब्रिटेन ने रूस और यूक्रेन के इन दोनों क्षेत्रों पर सख्त प्रतिबंध लगाने की चेतावनी भी जारी कर दी है।
अमेरिका ने पुतिन के बयान की निंदा की
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी जे ब्लिंकन ने एक बयान जारी कर रूसी राष्ट्रपति के एलान की निंदा की है। ब्लिंकन ने अपने बयान में कहा कि हम तथाकथित “डोनेट्स्क और लुहान्स्क” को “स्वतंत्र” के रूप में मान्यता देने के राष्ट्रपति पुतिन के फैसले की कड़ी निंदा करते हैं। यह सीधे तौर पर कूटनीति के लिए रूस की प्रतिबद्धता का खंडन करता है और यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर एक स्पष्ट हमला है।
उन्होंने कहा कि अन्य देशों का दायित्व है कि वे खतरे या बल प्रयोग के माध्यम से बनाए गए एक नए “देश” को मान्यता न दें, साथ ही किसी अन्य देश की सीमाओं को बाधित न करने का दायित्व भी निभाएं। रूस के राष्ट्रपति पुतिन का यह निर्णय अंतरराष्ट्रीय कानून और मानदंडों के लिए उनके घोर अनादर का एक और उदाहरण है।
इधर रूसी राष्ट्रपति पुतिन के यूक्रेन में सेना भेजने के आदेश के बाद पूरी दुनिया में दहशत छा गई है। सुरक्षा परिषद में इस पर एक आपात बैठक बुलाई गई है। शेयर बाजारों में तो हाहाकार मच गया है लगभग हर देश के शेयर बाजार लुढ़क गए हैं।
युद्ध को लेकर भारत सतर्क
युद्ध की आशंका को देखते हुए भारत सरकार यूक्रेन में रह रहे भारतीयों को निकालने के काम जुट गई है। विशेष विमानों से यूक्रेन में फंसे भारतीयों को भारत लाया जा रहा है। भारत ने कहा है कि करीब 20 हजार भारतीयों को वहां से निकालना उसकी पहली प्राथमिकता है। भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से युद्ध के बजाय बातचीत से मामले के सुलझाने की अपील की है।
क्या है डोनेत्स्क और लुहांस्क की स्थिति?
पूर्वी यूक्रेन में रूस की सीमा से लगे डोनेत्स्क की गिनती एक समय यूक्रेन के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र के तौर पर होती थी। यह डोनबास राज्य का मुख्य शहर है, जहां कई अहम खनिजों का भंडार है।
यह शहर यूक्रेन के बड़े स्टील उत्पादक केंद्रों में से है। यहां की जनसंख्या करीब 20 लाख है। वहीं, लुहांस्क जिसे पहले वोरोशिलोवग्राद के नाम से जाना जाता था, यूक्रेन के लिए कोयले का अहम भंडार है। यह शहर भी डोनबास क्षेत्र का हिस्सा है और रूस के साथ सीमा साझा करता है। इस शहर का उत्तरी हिस्सा ब्लैक सी से लगता है।
इस क्षेत्र को लेकर रूस और यूक्रेन में तनाव क्यों?
डोनेत्स्क और लुहांस्क, जिस डोनबास प्रांत का हिस्सा हैं, वह रूस और यूक्रेन के बीच तनाव की मुख्य जड़ रहा है। दरअसल, सोवियत संघ के विघटन के बाद डोनबास क्षेत्र यूक्रेन का हिस्सा बना। उधर, रूस का कहना है कि डोनबास की अधिकतर जनता रूसी भाषा बोलती है और इसलिए उसे यूक्रेन के राष्ट्रवाद से बचाया जाना जरूरी है।