महिला को नहीं था भाई, तो 4 लाख का मायरा लेकर पहुंचा पूरा गांव, पेश की अनोखी मिसाल
‘नानी बाई का मायरा’ भरने जैसे स्वयं श्री कृष्ण भगवान आते हैं, ठीक उसी प्रकार राजस्थान के एक गांव में महिला को भाई नहीं होने की वजह से उसके पूरा गांव मायरा भरने चला गया और उन्होंने सारी रस्में निभाई तो महिला भावुक हो गई और पूरे गांव वालों का धन्यवाद दिया।
बता दें, यह मामला राजस्थान के नागौर जिले के खींवसर गांव का है जहां पर एक महिला का कोई भी सगा भाई नहीं था जिसके चलते उसकी दोनों बेटियों की शादी में मायरा भरना बड़ा मुश्किल हो गया था, लेकिन गांव वालों की एकता ने उसके घर में ढेर सारी खुशियां भर दी।
बता दें कि, खींवसर गांव की संतु नाम की महिला की 2 बेटियां है जिनकी शादी हो रही थी। संतु को कोई भी भाई नहीं था, ऐसे में गांव वालों ने मिलकर फैसला किया कि वह संतु के घर जाएंगे और मायरा भरेंगे।
युवाओं ने संकल्प लिया तो देखते ही देखते 4 लाख रुपए जमा हो गए और फिर सभी संतु के घर पहुंच गए। जहां पर उन्होंने बड़ी धूमधाम से उनकी दोनों बेटियों की शादी की और मायरा की सारी रस्में अदा की।
रिपोर्ट की मानें तो खींवसर निवासी तुलसीराम, राधेश्याम, अरविंद, धर्माराम तंवर, प्रकाश तंवर समेत अन्य लोग संतु की दोनों बेटियों की शादी में पहुंचे। यहां पर उन्होंने करीब 2 तोला सोना, 28 तोला चांदी और 2 लाख रुपए नकद दिए।
इसके अलावा भी गांव वालों ने दोनों बेटियों को कई तरह के तोहफे दिए। ऐसे में कुल मिलाकर 4 लाख रुपए का मायरा हुआ। गांव के युवाओं ने कहा कि हम सभी आपके भाई हैं। इसके बाद बहन ने सभी भाईयों के तिलक लगाया और उसके बाद सभी भाई शादी की तैयारियों में जुट गए।
गांव वालों का ऐसा प्यार देखकर संतु की आंखें भर आई और उसने गांव के सभी लोगों को तिलक कर अपना भाई बनाया। संतु देवी ने बताया कि उसके पिता प्रेम गिरी की सिर्फ 2 बेटियां थी। शादी के बाद संतु अपने ससुराल को छोड़ पति के साथ अपने गांव में ही रहने लगी थी, ताकि बुढ़ापे में वह अपने पिता की देखरेख कर सके।
संतु और राजू गिरी की पांच बेटियां और एक बेटा है। ऐसे में दो बेटियों की शादी बीते शुक्रवार को हो रही थी। जब मायरा भरने की बारी आई तो संतु का कोई भाई नहीं था जिसके चलते चिंता बढ़ गई थी। लेकिन शादी के दिन ही गांव वालों ने एकता दिखाई और पूरे गांव ने मिलकर करीब 4 लाख रुपए की रकम जुटाई और संतों के घर खुशी-खुशी मायरा भरा।