एक सोसाइटी में 2 शादियां थी, दोनों परिवारों ने मिलकर किया आलीशान आयोजन और खर्च बांट लिया
समाज के लोग अगर सद्भावपूर्वक मिलकर कर कोई आयोजन या कार्य करें तो ना केवल वो आयोजन या कार्य आसानी से हो जाता है बल्कि खर्चा भी आधा हो जाता है। इसके साथ ही उसकी भव्यता भी बढ़ जाती है।
इसी तरह की एक मिसाल गुजरात के अहमदाबाद में देखने को मिली, जहां एक सोसाइटी के दो परिवारों की एक ही डेट पर शादी थी। इन दोनों परिवारों ने मिलकर एक साथ एक मंडप में दोनों शादी का करने का फैसला किया और भव्य आयोजन के साथ खर्चा भी आधा कर लिया।
बसंत पंचमी पर दो परिवारों में थी शादी
वसंत पंचमी के शुभ मुहूर्त पर कई शादियां हुईं। इस शुभ अवसर पर अहमदाबाद में भी एक ही सोसाइटी में 2 अलग-अलग पारिवारिक शादियां हो रही थीं। ऐसे में जब एक ही दिन में 2 शादियां होनी थीं तो दोनों परिवारों ने समझदारी दिखाते हुए एक ही आयोजन कर दोनों शादियां करने का फैसला किया। जिसके बाद दोनों परिवारों के सभी समारोह एक ही मंडप में संपन्न हुए।
पटेल समुदाय ने दिखाई समझदारी
जानकारी के अनुसार शाहीबाग के गिरधरनगर में उत्तरी गुजरात पटेल सोसायटी में एक ही दिन 2 पटेल परिवारों की शादी हुई। जगदीशभाई के बेटे और संजयभाई की बेटी की शादी थी। इस बात की जानकारी दोनों परिवारों को पहले से थी, इसलिए शादी से ठीक एक महीने पहले दोनों परिवारों ने तय किया कि दोनों परिवारों की शादी की सभी रस्में एक ही मंडप में की जाएं।
दोनों परिवारों की गृह शांति एक ही मंडप में हुई जिसके बाद दोनों परिवारों का रात्रि भोज भी उसी मंडप में हुआ। साथ ही इस मंडप में दोनों परिवारों का गरबा भी किया गया। इससे पहले दोनों परिवारों के मेहमान भी इस मौके पर एक दूसरे के साथ रहे। दोनों परिवारों की शादी की रस्में थोड़ा आगे-पीछे आयोजित की गईं ताकि उनके परिवार के सदस्य और मेहमान भी इस अवसर पर शामिल हो सकें।
इस बारे में जगदीशभाई के छोटे भाई संजीव पटेल ने कहा, ”वहां हमारी शादी की पार्टी है और हमारी सोसाइटी के दूसरे घर में भी उसी दिन शादी थी, इसलिए हमने एक साथ परिवार की बैठक की और एक बड़ा मंडप बनाने का फैसला किया।” जिसमें हम दोनों के परिवार की सभी शादी की रस्में हुईं।
मंडप का आकार बड़ा होने के कारण दोनों परिवारों के लोगों ने इस अवसर को एक साथ मनाया। हमने मंडप का खर्च भी आधा कर दिया। एक साथ शादी करने से हमारे बीच रिश्ता और भी मजबूत हो गया है।