इन चीजों से मिलकर ‘हेमा’ बनी लता मंगेशकर, स्वर कोकिला की ये ख़ास बातें बनाई गई ‘दीदी’ को अमर
इस दुनिया में लता कई हुई लेकिन लता मंगेशकर केवल एक हुई. कोई दूसरी लता मंगेशकर कभी नहीं हुई और न ही होगी. लता मंगेशकर इस दुनिया में अपनी मखमली और सुरीली आवाज के लिए पहचानी गई और हमेशा पहचानी जाती रहेंगी. जब तक सूरज चांद रहेगा तब तक लता जी का नाम रहेगा.
लता जी का जन्म 1929 में मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में 28 सितंबर को हुआ था. अपने पांच भाई-बहनों में लता जी सबसे बड़ी थीं. 92 साल की उम्र में लता जी ने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली. वे करीब 29 दिनों से अस्पताल में भर्ती थी और रविवार सुबह आख़िरकार स्वर कोकिला जिंदगी की जंग हार गईं.
36 भाषाओं में 30 हजार से अधिक गानों को आवाज देने वाली लता जी हिंदुस्तान और हिंदी सिनेमा की सबसे सफ़ल गायिका रही. लता जी का संगीत करियर करीब 80 सालों का रहा. साल 1941 में उनके गायकी के करियर की शुरुआत हुई थी. लता जी के निधन की ख़बर सामने आते ही उनसे जुड़े कई किस्से भी सामने आ रहे हैं.
लता जी के निधन से देश को अपूरणीय क्षति हुई है. उनके खालीपन को कभी भरा नहीं जा सकेगा. लता जी एक ऐसी शख़्सियत रही जिनके बारे में जानने के लिए फैंस सदा उत्सुक रहे. तो चलिए ‘भारत रत्न’ स्वर कोकिला, स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर जी से जुड़ी कुछ ख़ास बातों के बारे में आपको बताते हैं.
लता जी का असली नाम है ‘हेमा’…
लता जी का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर के सिख मोहल्ला में हुआ था. उनका असली नाम हेमा है. जन्म के समय नाम रखा गया था हेमा फिर जब वे पांच साल की हुई तो उन्हें लता नाम दिया गया.
पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी, छोटी उम्र में संभाली परिवार की जिम्मेदारी…
लता जी के पिता का नाम दीनानाथ मंगेशकर और माता का नाम शेवंती मंगेशकर था. लता जी जब 13 साल की थी तब उनके पिता का निधन हो गया था. ऐसे में परिवार की जिम्मेदारी लता दीदी के कंधों पर आ गई क्योंकि वे अपने परिवार में पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी.
सिर्फ एक दिन के लिए गईं स्कूल…
लता मंगेशकर के बारे में यह बात वाकई हैरान करने वाली है कि दीदी महज एक दिन के लिए स्कूल गई थीं.
6 बड़े विश्वविद्यालयों ने डॉक्टरेट की उपाधि से किया सम्मानित…
लता जी के स्कूल न जाने वाली बात से भी अधिक हैरानी वाली बात यह है कि महज एक दिन के लिए स्कूल गई लता दीदी को 6 बड़े विश्वविद्यालयों ने डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया था.
आवाज को पतली बताकर कर दिया गया रिजेक्ट…
लता जी की आवाज बेहद सुरीली और मखमली है. लेकिन शुरुआत में उनकी आवाज को पतली बताकर उन्हें रिजेक्ट तक कर दिया गया था. बाद में उनकी किस्मत 1949 में आई फिल्म ‘महल’ के गाने ‘आएगा अने वाला’ से चमकी थी. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
ढेरों अवार्ड्स से हुई सम्मानित…
लता जी को यूं तो ढेरों अवार्डस मिले हालांकि सबसे बड़े अवॉर्ड्स की बात करें तो साल 1969 में उन्हें पद्म भूषण, 1989 में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड, 1999 में पद्म विभूषण, 2001 में भारत का सबसे ऊंचा नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’, साल 2009 में फ्रांस का सबसे ऊंचा सम्मान दिया गया. जबकि उन्होंने तीन बार राष्ट्रीय पुरष्कार भी हासिल किया.