पिता की गोद में ही दिख गई थी लता की प्रतिभा: 6 महीने की उम्र में सारंगी की तान छेड़ दी थी
कहते हैं कि पूत के पांव पालने में ही दिखाई दे जाते हैं। ठीक इसी तरह लता मंगेशकर ने अपनी प्रतिभा की पहचान पलाने में करा दी थी। जब वो मात्र 6 महीने की तभी उन्होंने अपने पिता की सारंगी पर ऐसा सुर छेड़ दिया था कि वहां खड़े उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर आवाक रह गए थे।
जब 6 महीने की उम्र में लता ने छेड़ा सुर
मंगेशकर परिवार की माने तो लता दीदी ने संगीत की तरफ अपने लगाव का संकेत बोल फूटने से पहले ही दे दिया था। कहा जाता है कि लता मंगेशकर के पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर पोर्च में बैठकर सारंगी बजा रहे थे, तभी उनकी नजर नन्ही लता पर गई।
6 महीने की वो बच्ची मुट्ठी भर मिट्टी अपने मुंह में डालने ही वाली थी कि उनके पिता ने उन्हें गोद में उठा लिया और सारंगी के पास आकर बैठ गए, तभी वे यह देखकर हैरान रह गए जब उस दुधमुंही बच्ची ने सांरगी के तार को ठीक उसी तरह छेड़ दिया, जिस तरह वे बजा रहे थे।नन्हीं लता की इस प्रतिभा को देखकर पिता आवाक औऱ नि:शब्द हो रह गए थे।
लता मंगेशकर भले ही इस दुनिया से रुखसत हो गई हैं। लेकिन वो और उनके खूबसूरत गाने हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगे, क्योंकि लता मंगेशकर ने अपनी आवाज के जादू से लोगों के दिलों में एक ऐसी खास जगह बनाई है जो कभी मिट नहीं सकती। उनकी निजी जिंदगी से जुड़े कुछ बातें हम आपको नीचे बता रहे हैं-
- पिता दिनानाथ मंगेशकर शास्त्रीय गायक थे।
- उन्होने अपना पहला गाना मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ (कितना हसोगे?) (1942) में गाया था।
- लता मंगेशकर को सबसे बड़ा ब्रेक फिल्म महल से मिला। उनका गाया “आयेगा आने वाला” सुपर डुपर हिट था।
- लता मंगेशकर 20 से अधिक भाषाओं में 30000 से अधिक गाने गाए।
- लता मंगेशकर ने 1980 के बाद से फ़िल्मो में गाना कम कर दिया और स्टेज शो पर अधिक ध्यान देने लगी।
- लता मंगेशकर ही एकमात्र ऐसी शख्सियत हैं जो जब जीवित थीं तभी से उनके नाम से पुरस्कार दिए जाते हैं।
- लता मंगेशकर ने आनंद घन बैनर तले फ़िल्मो का निर्माण भी किया था और संगीत भी दिया था।
- वे हमेशा नंगे पाँव गाना गाती थीं।