ममता बनर्जी की सांसद महुआ ने जैन युवकों को बताया मांसाहारी, लोग बोले- “इसे भेजो पागलखाने’…
महुआ मोइत्रा टीएमसी की एक ऐसी नेत्री और सांसद हैं। जिनकी पहचान कहीं न कहीं एक ऐसी नेत्री की है, जो अपने विवादित और ऊल-जुलूल बयानों को लेकर सुर्खियां बटोरती रहती हैं। जी हाँ कभी वो धर्म को लेकर गलत बयानबाजी कर बैठती है, तो कभी संसद में न बोल पाने की भड़ास सोशल मीडिया पर निकालती हैं। इतना ही नहीं अक्सर वो कुछ न कुछ ऐसा कर गुजरती हैं, जो उन्हें सुर्ख़ियों में ला देता है।
अब हालिया घटनाक्रम को ही देखिए कि उन्होंने इस बार जैन धर्म के बारे में कुछ ऐसा बोल दिया है, जिससे उनकी मुसीबतें बढ़ गई है और सोशल मीडिया में उनके प्रति गुस्से का माहौल देखा जा रहा है। बता दें कि ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की नेत्री और सांसद महुआ मोइत्रा ने इस बार जैन धर्म को मानने वालों के बारे में गलत बयान दिया है, जो अब उनके गले की घंटी बन रहा है। मालूम हो कि उन्होंने अपने एक बयान में जैन धर्म के युवाओं को मांसाहारी बता दिया। फिर क्या था ऐसे में उनके खिलाफ युवाओं का लामबंद होना स्वाभाविक सी बात थी और अब वही सोशल मीडिया पर देखने को मिल रहा है।
Feeling pity for @MahuaMoitra dragging Jain’s into her so called politics is showing her poor mindset.
how could she talk about a Jain like this.
Mind your words Madam, before speaking about any specific community. pic.twitter.com/fBkCbRP8s5
— Harsh Sanghavi (@sanghaviharsh) February 4, 2022
वैसे बात करें तो जैन धर्म एक सात्विक प्रणाली में विश्वास करने वाला धर्म है और जैन धर्म कभी मांसाहार का समर्थन नहीं करता, ऐसे में कतिपय आधुनिक विचारों वाले लोगों को छोड़ दें तो शायद ही कोई इस धर्म में रहते हुए मांसाहार का सेवन करता है, लेकिन ममता बनर्जी की पार्टी वाली मोहतरमा को पता नहीं क्या सुझा और उन्होंने ऐसा बयान देकर अपनी मुसीबतें बढ़ ली।
मालूम हो कि महुआ के संसद में दिए इस बयान पर अब सोशल मीडिया में उनके खिलाफ गुस्सा भड़क उठा है और तमाम लोग महुआ पर तंज कसते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। वहीँ बताते चलें कि महुआ इससे पहले भी मोदी सरकार के खिलाफ अपने बयानों को लेकर चर्चाओं में रह चुकी हैं। मालूम हो कि बीते दिनों संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान महुआ मोइत्रा का उग्र रूप देश के सामने आया था और तब भी उन्होंने गोमूत्र का हवाला देकर बीजेपी सांसदों पर तंज कसा था।
ऐसे में देखें तो विवादित बयान तो जैसे उन्होंने अपनी पार्टी की अध्यक्षा ममता बनर्जी से ही देना सीखा हो और अब लोकसभा में महुआ ने बयान दिया कि, “सरकार ऐसे हालात से डरती है कि अहमदाबाद में जैन युवा किसी ठेले पर जाकर काठी कवाब खा रहा हो।” वहीं फिर क्या था उनके इस बयान के बाद एक तरफ दूसरे दल के नेता उन्हें लपेटे में तो ले ही रहें हैं, इसके अलावा सोशल मीडिया में उनका लगातार विरोध हो रहा है।
बता दें कि महुआ मोइत्रा के बयान पर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने ये आरोप भी लगाया था कि उन्होंने आईटी मंत्रालय की संसदीय समिति की बैठक में तीन बार उन्हें ‘बिहारी गुंडा’ कहा। वहीं एक बार महुआ उस वक्त भी सुर्ख़ियों में आईं थी। जब उन्होंने शिवलिंग पर कंडोम चढ़ाने का एक कार्टून शेयर किया था और उस समय भी उन्हें काफी फजीहत झेलनी पड़ी थी, लेकिन कहते हैं न कि कुछ लोग ऐसे नहीं सुधरते। ऐसे में इन बयान बहादुरों को तो जनता चुनाव के समय ही सबक सीखा सकती है, लेकिन शयद जनता भी चुनाव के समय इन बातो को भूल जाती है। आइए ऐसे में देखें महुआ के खिलाफ सोशल मीडिया में भड़की आग को…
Because as Jain we can’t enter her home like ISIS does when Thier feelings and beliefs gets hurt
— 𝐀𝐠𝐡𝐚𝐬𝐭𝐲𝐚 #ಅಗಸ್ತ್ಯ 🌿 (@Aghastya7jain) February 5, 2022
Jain community is the purest vegetarian. I never saw anyone as she said. She is a biased poIiticaI mindset. You fiIe a case against her.
— Vijay Jain (@jainvijay_ind) February 4, 2022
So they can get away by saying anything in parliament ?? Is There no check.
— Neena Sen 🇮🇳 (@neena_sen) February 4, 2022
ये पागल हो चुकी है,
इसको पागलखने में जमा करवाओ ।
सभी जैन भाई ऐसे लोगों का घेराव करो,
इस तरह के गिरी हुई मानसिकता के गुंडे TMC की पहचान है !
इनको इनकी भाषा में जवाब देना बहुत ज़रूरी है !— PANKAJ KUMAR (@IMPKG_2014) February 5, 2022
Who will send you in loksabha.?
Mindless…— Rohit Gangwar (@rohittireless) February 5, 2022
वहीं आखिर में आपको बता दें कि बीते दिनों जब महुआ मोइत्रा लोकसभा में भाषण दे रही थीं, तो वह काफी आक्रामक होकर बोल रही थीं। जिसपर रमा देवी ने कहा था कि ‘आप आराम से बोलिए, गुस्से में क्यों हैं?’ वहीं इनके इस रवैये से टीएमसी के सदस्य भी खुश नजर नहीं आ रहें थे। ऐसे में शायद ये नेता और नेत्री भूल गए हैं कि आदर्श राजनीति कैसे की जाती है और यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं।