जानिए लाल चंदन की असली कहानी, जिसने अल्लू अर्जुन को फ़िल्म में बना दिया मजदूर से राजा…
काफ़ी बेशकीमती होती है रक्त चंदन की लकड़ी, जिसे पाने के लिए हर वक्त लालायित रहता है चायना...
भले ही कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए एक बार फिर से लोग सिनेमा हॉल और थियेटर से दूरी बना रहे हो, लेकिन एक बात तो दावे से कही जा सकती है कि अधिकतर लोगों ने हालिया दौर में रिलीज हुई दक्षिण भारत की फिल्म पुष्पा (Pushpa: The Rise) जरूर देख ली होगी। वैसे एक सवाल आपसे भी अभी तक आपने ये फ़िल्म देखी या नहीं ?
नहीं देखें हैं तो जरूर देखिए क्योंकि हाल-फिलहाल में इस फ़िल्म ने गर्दा मचाया हुआ है। जी हां सही सुन रहें गर्दा मतलब धुआंधार चर्चा में बनी हुई है ये फ़िल्म। अरे अभी भी नहीं समझे तो बता दें कि वही अल्लू अर्जुन (Allu Arjun) वाली फिल्म ‘पुष्पा: द राइज’, जिसने पहले थियेटर्स में धमाल मचाया और फिर ओटीटी पर।
इतना ही नहीं इस फ़िल्म ने तो हिंदी क्षेत्र में भी धमाल मचा दिया। ऐसे में फ़िल्म को देखें हैं तो ठीक बात और नही देखें तो जरुए देखिएगा, लेकिन आइए पहले इस कहानी को चाव से पढ़िए, क्योंकि इसमें हम बताने जा रहें कुछ खास…
बता दें कि अल्लू अर्जुन अभिनीत इस फ़िल्म को हिंदी समेत चारों भाषाओं में रिलीज की गई है और यह हालिया दौर की सबसे चर्चित फिल्म बन गई है। इतना ही नहीं मालूम हो कि इस फ़िल्म ने कमाई में भी जोरदार सफलता हासिल की है।
आइए ऐसे में आज हम बताते हैं आपको थोड़ी सी इस फ़िल्म की बात और थोड़ा ज्यादा सा इस फिल्म के बेस से जुड़ी हुई कहानी जो कि ‘लाल चंदन’ (Red Sandalwood) की लकड़ी है।
पहले चर्चा फ़िल्म के कहानी की। बता दें कि फिल्म की कहानी एक मजदूर पुष्पा की है जो एक खास किस्म की लकड़ी तस्करी के धंधे में कदम रखता है और मजदूर से मालिक बन जाता है और धीरे-धीरे यह कहानी आगे बढ़ती जाती है।
ऐसे में फ़िल्म की कहानी इतनी सी, क्योंकि पूरी स्टोरी बता दिया तो फ़िल्म क्या देखेगे आप? अब आगे की चर्चा उस लकड़ी की। जिसकी तस्करी से पुष्पा नौकर से एक ताकतवर आदमी और मालिक बन जाता है।
बता दें कि ये लकड़ी एक खास किस्म की लकड़ी होती है यानी कि रक्त चंदन और इस फ़िल्म की कहानी भले ही काल्पनिक हो लेकिन फिल्म में रक्त चंदन के बारे में जो भी दिखाया गया है वो लगभग सच के करीब है। बता दें कि ये लकड़ी सिर्फ एक लकड़ी भर नहीं है बल्कि भारत का एक प्राकृतिक खजाना है और यह भारत के एक विशेष स्थान पर पाई जाती है और इसे रक्त चंदन या ‘लाल सोना’ के नाम से जानते हैं।
वहीं मालूम हो कि चंदन की लकड़ी भारत में बहुत धार्मिक रूप से भी काम में ली जाती है और यह एक बहुत ही खूशबूदार लकड़ी है जो तीन तरह की होती है सफेद, रक्त यानि लाल और पीली। लेकिन इनमें भी लाल चंदन की बात अलग है क्योंकि इसको ही लाल सोना कहा जाता है।
इन क्षेत्रों में मिलती है ये लकड़ी…
बता दें कि इसका उपयोग आयुर्वेदिक औषधि में भी किया जाता हैं। इसके अलावा इन लकड़ियों का उपयोग शराब और कॉस्मेटिक्स की चीजे बनाने में भी होता है।
वहीं इस लकड़ी की ख़ास बात यह है कि इसका पेड़ औसतन 8 से लेकर 12 मीटर तक ऊंचा होता है और यह सिर्फ तमिलनाडु की सीमा से लगे आंध्र प्रदेश के चार जिलों- नेल्लोर, कुरनूल, चित्तूर, कडप्पा में फैली शेषाचलम की पहाड़ियों में ही मिलता है।
इस बेशकीमती लकड़ी की विदेशों में हाई डिमांड…
वहीं बता दें कि रक्त चंदन के पेड़ दुनियाभर के लिए दुर्लभ हैं। यह बेशकीमती लकड़ी होती है और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक किलो लाल चंदन की कीमत 90 हजार से लेकर डेढ़ लाख रुपये तक बताई जाती है।
बता दें कि इस लकड़ी की सबसे ज्यादा मांग चीन में है। वहीं चीन के बाद सिंगापुर, जापान, यूएई समेत कई देशों में इन लकड़ियों की हाई डिमांड होती है। इस वजह से इसकी तस्करी आम बात है।
बेशकीमती सोना होने के बावजूद है बिना खुशबू के…
वहीं बता दें कि रक्त चंदन यानी लाल चंदन की अपनी एक बात अलग है। गौरतलब हो कि जहां एक तरफ सफेद और पीले चंदन में खुशबू होती है, वहीं रक्त चंदन खुशबूदार लकड़ी नहीं है और इस लकड़ी का वैज्ञानिक नाम Pterocarpus santalinus है।
वहीं आखिर में बता दें कि इस लकड़ी की तस्करी न होने पाए इसके लिए देश मे कड़े कानून बनाए गए हैं और तस्करी करते हुए पकड़े जाने पर 11 वर्ष की जेल और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
ऐसे में है न इस लकड़ी की कहानी फ़िल्म पुष्पा से भी धांसू। वैसे कुल-मिलाकर कहें तो यह कहानी आपको पढ़कर कैसी लगी हमें कमेंट कर अवश्य बताएं और हां फ़िल्म नही देखें तो देर किस बात की मोबाइल स्क्रीन पर आंखें गड़ाईए और जुट जाइए, पक्का बोलते हैं गुरु जमा आ जाएगा!