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पिता ने निकाल दी थी संजू की हेकड़ी, कार देने से किया था मना, कहा- जब कमाओगे, उस दिन कार में बैठना
दिग्गज़ अभिनेता सुनील दत्त और मशहूर अभिनेत्री नरगिस दोनों अपने-अपने समय के बेहतरीन कलाकार रहे हैं. दोनों कलाकारों ने साथ में हिंदी सिनेमा की बेहद चर्चित फिल्म ‘मदर इंडिया’ में काम किया था. इस फिल्म में दोनों मां-बेटे की भूमिका में देखने को मिले थे.
बताया जाता है कि नरगिस को सुनील काफी पसंद करते थे. फिल्म ‘मदर इंडिया’ के पहले से ही सुनील के दिल में नरगिस के लिए जगह बन गई थी. दोनों फिल्म में जरूर मां-बेटे के रोल में थे लेकिन कपल की प्रेम कहानी इसी फिल्म के सेट पर हुए एक हादसे के चलते शरू हुई थी.
दरअसल, एक बार फिल्म ‘मदर इंडिया’ के सेट पर आग लग गई थी. आग के बीच में नरगिस फंस गई थी. ऐसे में उन्हें बचाने को कोई आगे नहीं आ रहा था. तब अपनी जान की परवाह किए बिना सुनील आग में कूद गए और नरगिस को सुरक्षित बचा ले आए. नरगिस तो सही-सलामत बाहर आ गई लेकिन आग में सुनील झुलस गए थे.
आग में झुलसने के बाद सुनील दत्त बीमार हो गए थे और उन्हें बुखार आ गया था. वे अस्पताल में कई दिनों तक भर्ती रहे और यहां उनकी देखरेख के लिए नरगिस भी रही. इसी बीच नरगिस को भी सुनील से प्यार हो गया और फिर दोनों कलाकारों ने साल 1958 में शादी कर ली थी. नरगिस और सुनील तीन बच्चों दो बेटियों नम्रता दत्त, प्रिया दत्त एवं एक बेटे संजय दत्त के माता-पिता बने.
सुनील और नरगिस की दोनों बेटियां फिल्मों में नहीं आईं. हालांकि कपल के बेटे संजय अपने माता-पिता की राह पर चले और फ़िल्मी दुनिया में करियर बनाने का फ़ैसला लिया. इतना ही नहीं संजय पिता और मां की तरह ही सफ़ल कलाकार भी बने.
‘संजू बाबा’ के नाम से भी लोकप्रिय संजय दत्त ने कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया है. हालांकि संजय को माता पिता से एक सीमित दायरे में ही बढ़िया परवरिश मिली. दो बड़े स्टार के बेटे होने होने के बावजूद संजय कॉलेज पिता की कार से नहीं जाते थे. संजय ने खुद इससे जुड़ा एक किस्सा सुनाया था.
एक साक्षात्कार में संजय ने बताया था कि, ”माता-पिता ने हम तीनों भाई बहनों को कभी भी सर्वोच्चता की भावना नहीं दी. उन्होंने हमें एक ही चीज सिखाई थी और वो थी बड़ों का सम्मान करना, चाहे वो हमारे नौकर ही क्यों न हों. साथ ही ये भी सिखाया था कि बच्चों से प्यार करें, बड़ों का सम्मान करें और ये अपने दिमाग में कभी न आने दे कि हम नरगिस-सुनील दत्त के बच्चे है”.
आगे उन्होंने बताया कि, “कॉलेज के पहले दिन, कॉलेज जाने से पहले मैंने सोचा था कि, पिताजी मुझे छोड़ने के लिए एक कार भेजेंगे. उन्होंने मुझे कॉलेज जाने से पहले बुलाया और मुझे बांद्रा स्टेशन से शुरू होने वाला एक सेकेंड क्लास का ट्रेन पास दिया. जब मैंने कार मांगी, तो उन्होंने जवाब दिया कि, जिस दिन तुम कमाने लगना, उस दिन इसमें बैठना.
उन्होंने मुझे पास दिया और कहा, “चलो, एक ऑटो या कैब ले लो और बांद्रा स्टेशन जाओ”. बांद्रा स्टेशन से मैं चर्चगेट जाता था. मैं एलफिंस्टन कॉलेज जाता था, इसलिए चर्चगेट स्टेशन से पैदल चलकर एलफिंस्टन जाता था. तो ये संस्कार हमें दिए गए”.